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________________ (५)) क्यसा कायसा १ कराऊं नहीं मनसा वयसा कायसा २ अनुमाद, नहीं मनसा वयसा कायसा ३॥ ४-अंक-एक-२१ का भांगे है। दो फरण एक योग से कहने चाहिए-जैसे कि-फरूं नहीं कराऊं नहीं मनसा १ करूं नहीं कराऊनहीं वयसा २ करूं नहीं कराऊं नहीं पायसा ३ करू नहीं अनुमोद नहीं मनसा ४ करूं नहीं अनुमोदं नहीं वयसा ५ करू नहीं अनुमोदं नहीं कायसा ६ कराऊं नहीं अनुमादं नहीं मनसा ७ कराऊं नहीं अनुमोदं नहीं वयसा ८ कराऊं नहीं अनुमोदं नहीं कायसा ह॥ 3. ५-अक एक २२ का भांगे है। दो करण दो योग से करने चाहिए । करूं नहीं कराऊं नहीं मनसा वयसा १ करू नहीं कराऊं नहीं मनसा कायसा २ करू नहीं कराऊ नहीं वयसा कोयसा ३.करू नहीं अनुमोदं नहीं मनसा वयसा ४ करू नही अनुपादं नहीं-मनसा कायसा ५ करू नहीं अनुमोदं नहीं वयसा काय तो ६ करा नहीं भनुमोदं नहीं मनसा वयप्ता ७ कराऊ नहीं अनुमोव नहीं मनसा कायसा ८ कराऊं नहीं अनमोर्ट नहीं वयमा कायसाग-1
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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