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चतुर्थ अध्याय ॥
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विना बछड़े की गाय का दूध-यह भी तीनों दोषो को उत्पन्न करता है ॥ भैंस का दूध यद्यपि भैंस का दूध गुण मे कई दर्जे गाय के दूध से मिलता हुआ ही है तथापि गाय के दूध की अपेक्षा इस का दूध अधिक मीठा, अधिक गाढ़ा, भारी, अधिक वीर्यवर्धक, कफकारी और नीद को बढ़ानेवाला है, बीमार के लिये गाय का दूध जितना पथ्य है उतना भैंस का दूध पथ्य नही है ||
बकरी का दूध - मीठा, ठंढा और हलका है, रक्तपित्त, अतीसार, क्षय, कास और ज्वर की जीर्णावस्था आदि रोगो में पथ्य है |
भेड़ का दूध-खारा, मीठा, गर्म, पथरी को मिटानेवाला, वीर्य, पित्त और कफ को पैदा करनेवाला, वायु को मिटानेवाला, खट्टा और हलका है ॥
ऊँटनी का दूध -- हलका, मीठा, खारा, अग्निदीपक और दस्त लानेवाला है, कृमि, कोढ़, कफ, पेटका अफरा, शोथ और जलोदर आदि पेट के रोगो को मिटाता है ॥ स्त्री का दूध - हलका, ठढा और अग्निदीपक है, वायु, पित्त, नेत्ररोग, शूल और वमन को मिटाता है ||
धारोष्ण दूध - शक्तिप्रद, हलका, ठंढा, अग्निदीपक और त्रिदोपहर है । इस की वैद्यक शास्त्र में बहुत ही प्रशसा लिखी है तथा बहुत से अनुभवी पुरुष भी इस की अत्यन्त प्रशसा करते है - इस लिये यदि इस की प्राप्ति हो सके तो इस के सेवन का अभ्यास अवश्य रखना चाहिये क्योंकि यह दूध वालक से लेकर वृद्धतक के लिये हितकारी है तथा सब अवस्थाओं में पथ्य है ।
गर्म करके उपयोग में लाना नहीं पीना चाहिये, गाय तथा
दुहने के पीछे जब दूध ठढा पड़ जावे तो उस को चाहिये, क्योंकि कच्चा दूध वादी करता है इस लिये कच्चा भैस के दूध के सिवाय और सब पशुओ का कच्चा दूध शर्दी तथा आम को उत्पन्न करता है, इस लिये कुपथ्य है, गर्म किया हुआ दूध वायु कफ की प्रकृतिवाले को सुहाता हुआ गर्म पीने से फायदा करता है, अधिक गर्म दूध का पीना पित्तप्रकृतिवाले को हानि पहुँचाता है तथा गर्म दूध के पीने से मुख में छाले भी पड़ जाते है इस लिये गर्म दूध को ठढा कर के पीना चाहिये, दूध के बज़न से आधा वजन पानी डाल कर उस को औटाना चाहिये जब पानी जल जावे केवल दूध मात्र शेष रह जावे तब उस को उतार कर ठंढा करके कुछ मिश्री आदि मीठा डाल कर पीना चाहिये । यह दूध बहुत हलका तीनों प्रकृतिवालों के लिये अनुकूल तथा बीमार के लिये भी पथ्य है, औंटाने के द्वारा बहुत गाढ़ा
१ - सामान्यतया बाखडी गाय का ( जिस को व्याये हुए दो चार महीने बीत गये हैं उस गाय का ) दूध उत्तम होता है, इस के सिवाय जैसी खुराक गाय को खाने को दी जावे उसी के अनुसार उस के दूध में भी गुण और दोष रहा करता है ॥
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