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(१४) पिव ही रेखमा ही नहीं कि ये समय पादर नास्विचा में फंस जाते है इसलिये पच्चों के पोपव हवयों पर पहले से ही पम शिष भों के बीम मंडर उस्सम करदेन पाहिय ना मावा पिवा अपम मिप पुष त्रियों पर्म शिक्षामों से पंपिय रसवेरे से वास्तविक में अपनी संतान विपी नहीं है न पे माता पिता पाखाने से पोम्प की पोंकि सोंने अपने पिय पुष
और पुषयों भीषम को पपरोटि बनाने का पपस्न नहीं किपा निससे ये अपने जीवन में उमविरे फा दसने में प्रमान्प ही रामापौर धर्म शिक्षा के नरोने कारण से ही उनकी प्यारी मेवान जमा मस मरिरा शिमर परस्मी संग वेश्या गमम चोरी पातिकमा में फसीह भगरे देखते है पर परम हासिव होवे हैं और संसाम मी अपने माता पिता के माय भसभ्य पर्वा करने हम पाती है मिस म्पहार सोग देश मी नहीं सकते पा सब पार्मिक गितान नही देत अाएष सिर हुथा हि पर्म प्रचार के
पार्मिक संस्थानों की मस्पन्त पावरवाता है।