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१ २५) सत्रहवां पाठ।
(धर्म प्रचार विषय) पिय मज्जनों ! जब तक धर्म प्रचार नहीं होता तर वक लोग सदाचारी नहीं बन सकते थनएक मदाचार की प्रवृत्ति के लिये धर्म प्रचार की अत्यन्त मारसकता है।
विटान पुरुषों को योग्य है कि देश कालम हो कर वर्म शिक्षामों द्वारा प्राणियों को सदाचार में प्रवात कराते रहें यावन्मात्र संसार भर में अन्याय व्यभिचार की प्रवृचि रष्टि गाचर हो रही है यह सब धर्म प्रचार के न होने के ही कारण से है जर धर्म प्रचार न्याय पूर्वक किया जाये सब उक्त प्रवृचिये अन्पतर हो जायें अपितु धर्म प्रचार के जिन २साधनों की भावश्यकता रे वे साधन देश काहान नुसार प्रयुक्त करने से सफलता को प्राप्त हो जाते हैं। और उन साधनों के विषय में यत्किंचित लिखते हैं
शक सदाचार में रत धर्मात्मा पूर्ण