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देते हुये उस की अत्यन्त प्रशसा को और उस को पूर्ण आदर दिया ।
तत्र शेठ जी ने उन चारों वधुओं की परीक्षा बेली, तद लोगों के सामने यह कहा कि देखो ! मेरी पहली पुत्र वधु ने मेरे दिये पांचों धान्यों को गेर दिया. इस लिये ! मैं अपने घर की शुद्धि करने के काम में नियुक्त करता हूं। जो घर में रज, मल, आदि पदार्थ हों यह उनको घर से बाहर गेरसी रहे,"
दूसरी पुत्र वधु को में भोजन शाला में नियुक्त करता हू क्योंकि इसने मेरे दिये हुये धान्य खा लिये हैं सा मैं खाने पकाने के काम में स्थापन करता हूं ।
तीसरी वघु ने मेरे दिये हुये पांचों धान्यों की सावधानता पूर्वक रक्षा की है इस लिये ! इसको मैं कोशाधिपत्नी बनाता हू । जो मेरे घर में जवाहरात आदि पदार्थ हैं उन की कुंची इस के पास रहेगी ।
चौथी पुत्र वधु ने मेरे दिये हुये पांचों धान्यों को
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