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उस के सस्प गोकन कीमा करके चुप है। रहे और उस का बैठन की आता बी, वदतु शेठ भी ने दूसरी बहु ने मुखापा उस से भी नही मान्य योगे उस न मौ पहनी की तरह सब कुछ कह दिया राम शेठ भी मे इस को भी बैठने की भाशा दी, उस कपमा वीसरी बघु को आमंत्रित किया गया उसने भाकर सर्व चान्य कर सुना और पह भी कह दिया कि मैं कोई कारण मकर दोनों समय इन मान्यों की रक्षा करती रही तब शे भी म वोसरी बहु का सहकार करके अपने पास उसे भी पैठा दिया ।
फर शेठ भी मे चौबी बघु को पुलापा इस से भी वही धान्य माम लिये गये पस में सब के सामने पह कहा कि-पिया भी न पायों के थाने के लिये ! भेश मिलने चाहिये तब शेठ भी पुभि पर कैसे 1 वर्ष उस मे जिस प्रकार थे। और उन का बना गया था। पांच वर्ष में प
मे
कहा कि मान्य विदे
बुद्ध हा इत्यादि चान्त को सुन कर शेठ की
६६ ख हुए भार चौथी बघु को बहुत ही सत्कार