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( १ ) नप पोपी मधु ने पांच पाप , चिपे पं उस ने भी वासरो को परिवार दिया, किन्तु बन पान्यों को अपने इस पर पुरुषों को पुचकर परमिप ! इन पापा पापों को रुप में मामों और बाया एक क्यारा बना फर रिति पूर्णरु पर्पा अनुमाने पर इनका पीन दो, फिर पा लिपि क्रियाएं से नामों भवन में हमारे से पाम्प म मांगन-पान इस में से यापन्मान पाम्प होने म एसप बीमते मामा !
दास पुलों ने इस मा सनर पर रिया फिर से उसी प्रकार पपिवई पर्यन्वं परते गए।
पनि उन पनि पाम्यों की पुदि ती मई पान्यों रेठे परनए। रे दसरा प्रवियप पर्व समाचार भीमती गरिको देवी को देते है।
ना पाप प्रतीत हागर-ब मामाद रोठ मो पीसप अपने माम में सोए पहेपे मापीराव समयसमी नींद सुबई व समरे मन में पर मार
पमापरिमैने मत पचि पप में अपनी पसनों में परीक्षा पास्ते नको पाप २ शाप दिए थे, प्रदेश