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( 8. भी पिहालों के पादेयाना निवासनों को ऐसे पर्मों से मी पृयतामा माहिये। Mr. ____ा पुरुषों को चाहिये कि-देव पन मा पो १८ दोपों से रहित रे, भीमन्मुक्त और सर्पस सदर्शी है पोग मद्रा में ही देसे भाव है-सर्प भीगों निप परने बारेमाणी मात्र सार, ३४ भविगप और २५ पाणी के पारकर जो अपर सम देशों के शस्त्रादि चिग पर्णन किए गए है उन पियों में से कोई मी पिन चन में नही है ऐम भी पान मस देव मानन पाहिये । पौर गुरु पीस नो ग्रास्त्रानुसार अपना मापन पतीत करन पास है, सरपापा और मर्द जीना बलिपी रे भिसा धिरे द्वारा पा अपना भीवन म्यतीत + ने जम भ्रमर की धितो रे रसी प्रकार जनक पजन पोतिरेर एक मकार से पा स्पागी
कागाम्भर्ग में सदा जग गते रिजिन का सहा हम मानर से पमहाना नप्ती मार रिसे निन का पम।।
पाप पहावत पशपति पर्म इत्यादि २ मा पारमे रेपी गुरु सचे।