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धर्म की प्राप्ति हो सकती है भयों को निर्णय शनाया है और ज्ञान से विज्ञान बहलाता है जब विनाम होगा तब संघमा है संपम का ही है कि भभव स रहित हलाना, मग भाभन से रहित हो गया तब उसका परिणाम माह होता है ।
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मित्रा ! भाषिकाओं को जैन सूत्रों ने धर्म विषय नही अधिका दिये है जो भाविकों का दिए गये हैं। मन ! सिद्ध हुआ कि मोर भाषिकाको 'बर्म एक ही हाना चाहिये।
धर्म की साम्पता होने पर हर एक कार्य में फिर शान्ति र पकती है अत्र पर्व में पिता हावी है तब माय काय में पिता हा भावी है।
स भाविकाओं का योग्य है कि-पर सम्बन्धि कामकता दुई यस्न को न छोड़े-नसे स्त्रियों मूत्र कलाप वर्णन की गई है उनमें यह भी कहा तलग है कि जो पर काम हो उनका भी स्मो यस्म मिना न कर |
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प्रेम-चुरसा, पोका, की, इत्यादि कार्यों में परन बिना काम न करना चाहिये ।
पुरखादि की