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भगवान्-हे जयन्वी! न्याय पत्ती, धर्मात्मा, धर्म से भीनन व्यतीत करने वाले, धर्म-के उपदेशक वा सन्यपथ के उपदेशक इस प्रकार के प्रात्मा बलवान् अच्छे होते हैं क्योंकि-धर्मात्माभों के बल से अन्याय नहीं होने पाता, जीवों की हिंसा नहीं होती पाप कर्म घट जाता है लोग भ्याय पक्ष में पा धर्म पक्ष में आरूढ़ हो जाते हैं श्रतएव ! पर्मात्मा जन तो वलवान् ही अच्छे होते हैं। किन्तु जो पापात्मा हैं वे निर्बल ही अच्छे होते हैं क्योंकि-जब पापियों का वत्त निर्बल होगा तव श्रेष्ट कमे बढ़ जायेंगे किन्तु जब पापी बल पकड़ेंगे वव अन्याय बढ़ जाएगा। पाप वढ़ जाएगा। हिंसा, झूठ, चोरी-मैथुन, और परिप्रह, यह पाचों ही पाश्रव वहनाएंगे, अतएव ! पापियों का निर्बल ही होना अच्छा है।
जयती-हे भगवन् ! जीद सोए हुए अच्छे होते हैं पा जागते हुए ।
भगवान् ! हे जयंती ! वश्त से आत्मा सोए हुए अच्छे है और बहुत से जागवे हुए अच्छे हैं।