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फल पवार क्यतिथियों के
रात्रा को मधुर बायों से जगा कर अपने माप हुए चैदः स्वमों को विनय पूर्वक निवेदन किया? जिनकर सुन कर महाराणा भरवन्द प्रसान हुए और राणी' से कहने लगे कि 1 हे दबी तूने मट्टे पत्रों को देखा है जिसका फल यह होगा कि हमारी सर्व प्रकार की सृष्टि त हुए चक्रवर्ती कुमार उत्पन्न हमा | इस प्रकार राणी के स्वम राजा ने अपन नगर चौदह स्वमों के फलादेश को पूछा व पर्यो न कहा कि हे राजन् ! इन स्वप्न फवा देश से यह निश्चय होता है कि आप के घर में एक ऐसे राज कुर का जन्म हे गा मा कि चक्रवर्ती या वीर्यर देव होगा जिनकी मोडमा का विवरण हम नहीं कर सकसे व श्री महाराज ने उन स्वम पाठकों का सरकार और पारितोषिक देकर विसर्जन किया किन्तु धर्मी दिन स महाराणी भी शास्त्रोक विधि के अनुसार गर्भ रचा करने लगी फिर सवा नौ बोस के पश्चात् चैत्रा १३ प्रवादशी के दिन इस्य परा फार मन के बाग में भाषो रात्रि के समय में भी भ्रमण गाम्
माव
सुखा