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साहन में बारी रस को मानता हूं, यदि एक दिन ज्वर आप को चढ़ जाए और एक दिन मुझे च जाए, जब ऐसे हो जाए तो मैं वारी मानूंगा, इतनी वत सुन कर डाक्टर साहब हंस पड़े, इससे सिद्ध हुआ कि मूर्ख किसी का नाम नहीं है जो हित की बात नहीं समझता वही मूर्ख है - गृहस्थ को दाक्षिण्प होना चाहिये ।
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लज्जालु - श्रकार्यों से लज्जा करने वाला, पाप कर्म करते समय लज्जा करनी चाहिये, लज्जा से ही गुणों की प्राप्ति है। सकती है जो पुरुष निर्लज्ज होते है वे पाप कर्मों में प्रवेश कर जाते हैं, इस लिए ! माता, पिता, गुरु, स्वर (बुद्ध) इत्यादि की लज्जा करनी चाहिये, पापों वचना चाहिए, पुरुषों और स्त्रियों की लज्जा ही भूषण है इसी के द्वारा धर्म पंक्ति में आ सकते हैं काम विगड़ते हुओं को लज्जा वाला पुरुष ठीक कर सकता है अतएव सिद्ध हुमा लज्जा करना सुपुरुषों का मुख्य कर्तव्य है ।
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१० - दयालु - दया करने वाला त्रस और स्थावरों की सदैव रक्षा करने वाला इतना ही नहीं किन्तु जो
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