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( १०२ ) मुनियों की संगति पना और प्रन को यथोचित सरा परना पर परम सरप दोति का सदा पार का भंग है, पाव से मारपा प्रमाबार बा रोमे पर पी साधु संगवि से पशिनी हवे प्रकार से सदा पार रेफर को अपरम्प नहीं कर सकते मान और विज्ञान से रे पपक्का र नाते।।
इस लिये ! भो साधु पणों से युक सनि है पमी माम भमण है सदा पारियों के लिये मा "सपास्पm हैसहा पारी उसके उपासक बाइसी लिपे ! सदा पारिपों का नाप, “भमणो पासकर का नाता है, मपितु सदा पार की प्राप्ति गणों पर ही निर्भर है।
गणे की प्राप्ति करमा पस्पेक पछि अरूप पम्पहै पा एण कही म प्राप्त हानाएं पर्स से ही खे लेने चाहिये।
सबनो । गण हो बीवन का सार है एणों से भीर सरकार का बन समवेद, पण्ठिा मी पणों से मित साती मेन प्रन्पों में अपणो पासा "
राण पर्सम किए गपे। मेसे fr