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स्तवनावली.
॥ अथ श्री शंखेश्वरपार्श्व
जिन स्तवन ॥
॥ राग दादरो ॥
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चितहरमारा शंखेश्वर प्यारारे । चि । यांकणी ॥ प्रभु मोरी विनती दिलमे धारोरे अरज शीकारोरे जांति निवारोरे ॥ शं ॥ चि ॥ १ ॥ वेरण कुमति हुं जरमा - योरे करम वश आयो रे नवे जटकायोरे ॥ शं ॥ चि ॥ २ ॥ पुरव पुन्य उदे करी पायोरे मनुष्यगति आयोरे चित हरखायोरे ॥ शं ॥ चि ॥ ३ ॥ अब चरणोकी सेवा मे पामीरे दील विसरामीरे शंखेश्वर स्वामिरे ॥ शं ॥ चि ॥ ४ ॥ तुम प्रभु
तम आनंद दाईरे वीरने सहाईरे कर करुणाईरे ॥ शं ॥ चि ॥ ५ ॥ इतिशंखे
श्वर जिन स्तवन ||
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