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तृतीयो वर्गः ]
भाषाटीकासहितम् ।
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स्तामेव दिशं प्रतिगतः । ( सूत्रम् ४)
पदार्थान्वयः-तेणं कालेणं-उस काल और तेणं समएणं-उस समय रायगिहे-राजगृह नाम का णगरे-नगर था और उसके बाहर गुणसिलए-गुणशैलक चेतिते-चैत्य । सेणिए-श्रेणिक नाम का राया-राजा राज्य करता था । तेणं कालेणं-उस काल और तेणं समएणं-उस ममय समणे-श्रमण भगवं-भगवान् महावीरे-महावीर स्वामी समोसढे-उस गुणशैलक चैत्य में विराजमान हो गये यह समाचार पाकर परिसा-नगर की जनता णिग्गया-धर्म-कथा सुनने के लिए श्री भगवान् के पास गई सेणितेश्रेणिक राजा भी नि०-गया धम्मकहा-श्री भगवान् ने धर्म-कथा की और परिणा-परिपद् पडिगया-अपने २ घर वापिस चली गई। तते णं-इसके अनन्तर से-वह सेणिए-श्रेणिक राया-राजा समणस्स-श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के अंतिए-पास धम्म-धर्म को सोचा-सुनकर और उसका निसम्म-मनन कर समणं-श्रमण भगवं-भगवान् महावीरं-महावीर की वंदति-वन्दना करता है उनको णमंसति २-नमस्कार करता है, वन्दना और नमस्कार कर एवं-इस प्रकार वयासी कहने लगा भंते-हे भगवन् । इमासिं-इन इंदभूतिपामोक्खाणं-इन्द्रभूति प्रमुख चोद्दसएहं-चौदह समणसाहस्सीणं-हजार श्रमणों मे कतरे-कौनसा अणगारे-अनगार महादुक्करकारए चेव-अति दुष्कर क्रिया करने वाला है और महाणिज्जरतराए चेव-महाकर्मों की निर्जरा करने वाला है ? यह सुनकर श्री भगवान् कहने लगे सेणिया-हे श्रेणिक एवं खलु-इस प्रकार निश्चय से इमासिं-इन इंदभृतिपामोक्खाणं-इन्द्रभूति-प्रमुख चोद्दसएहं-चौदह समणसाहस्सीणं-हजार श्रमणों मे धन्ने-धन्य अणगारे-अनगार महादुकरकारए-अत्यन्त दुप्कर क्रिया करने वाला है और महाणिजरतगए चेव-बडा कर्मों की निर्जरा करने वाला है । यह सुनकर श्रेणिक गजा कहने लगा भंते-हे भगवन् 'से-अथ केणडेणं-किस कारण से एवंइस प्रकार वुचति-आप ऐसा कहते है कि इमार्मि-इन जाव-यावन इन्द्रभूति-प्रमुग्ध चौदह माहस्सीणं-हजार अनगागे मे धन्ने-धन्य अणगारे-अनगार ही महादुक्करकारए चेव-अत्यन्त दुष्कर तप करने वाला और महाणिजर-बडा कमां की निजंग करने वाला है ' उनर में श्री भगवान् कहने लगे सेणिया-हे श्रेणिक' एवं ग्लु