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शब्दार्थ-कोष
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४६,८०,६४ का भाव, सयम-वृत्ति
१२ समाणी-होने पर
५१, ५६ |
सामन्न-परियातो सयम-वृत्ति २० समाणे होने पर
४२२, ४६ ।
सामली-करील्ले-शाल्मली वृक्ष की कोंपल ५३ समि-संगलिया-शमी वृक्ष की फली ५६ सामाइयमाइयाई-सामायिक आदि ४६ समुदाण-घरों के समूह से प्राप्त भिक्षा सामी श्री श्रमण भगवान् महावीर स्वामी समोसढे-पधारे, विराजमान हुए १२, ३६,
१२, ६० ७१, ६० साहस्सीणं सहस्रों में-(सहस्रों का) ७२२ समोसरणं पधारना, तीर्थङ्कर का प्रधारना सिझणा-सिद्धि
३, ८६ सिभिहिति-सिद्ध होगा १३, ८०, ६१ सयं-अपने आप
| सिढिल-कडाली (विव)=ढीली लगाम सयं-संवुद्धणं अपने आप बोध प्राप्त
के समान करने वाले
६४ सिण्हालए-सिंस्तालक-सेफालक नामक सरण-दएणं-शरण देने वाले ६४ फल विशेष सरिसं-समान
६१ | सिद्धि-गति-नामधेय-सिद्धि गति नाम सरीर-चन्नओ-शरीर का वर्णन ७२ वाले सल्लति-करिल्ले शल्य वृक्ष की कोंपल ५३ सिलेस-गुलिया श्लेष्म की गुटिका सम्वसिद्धेसवार्थसिद्ध विमान में २०२, | सिव-कल्याणरूप
२७, ८०, ६१ सीस-शिर सवत्थ-सर्वत्र, सब के विषय में ६४ सीस-घडीए-शिररूपी घट (घडे) से सवो सब
७२ सीसस्स-शिर की सब्बोदुए-सब ऋतुओं में हरा-भरा रहने । सीहसेणे-सिहसेन कुमार वाला
३५ सीहे-सिह कुमार सहसंववणे सहस्राम्रवन नाम वाला एक सीहो-सिंह, शेर
१२, २७ ३४, ७२ सुकयत्थे-सुकृतार्थ सहसववणतो-सहस्राम्रवन उद्यान से ४६
सुकं-सूखा हुआ
५५, ६४ सा-वह
सुक्क छगणिया-सूखा हुआ गोबर, गोहा ५६ साएए-साकेत पुर में
सुक्क छल्ली-सूखी हुई छाल
५१ साग-पत्ते-शाक के पत्ते
सुक्क-जलोया-सूखी हुई जोंक सागरोचमाइ-सागरोपम, दश क्रोडाकोडी सुक्कदिए-सूखी हुई मशक
पल्योपम प्रमाण का, काल का एक सुक्क-सप्प-समाणाहि-सूखे हुए सर्प के विभाग जिमके द्वारा नारकी देवता समान की आयु मापी जाती है १३, ८०, ६१ सुक्का-सूखी हुई, सूखे हुए
५१, ५६ साम-करीले-प्रियगु वृक्ष की कोंपल ५३ सुक्कातो-सूखी हुई सामन्न-परियागं-साधु का पर्याय, साधुसुक्केण-सूखे हुए
बगीचा