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सामूहिक अहिमा वे अभिनव प्रयोग
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पिकटिंग भी अहिंसक और सौम्य हाना चाहिए । तोड फोड, मारपीट, या गाली गलौज आदि झिापूण कायवाहिया शतानी पद्धतियां हैं। सत्या ग्रह या शुद्धि प्रयोग मे इसके लिए कोई अवकाश नहीं है । इसी प्रकार द्वेप वश किसी को काले झंडे दिखलाना, अपमानित करना या हिसोत्तेजक अन्य प्रवृत्ति करना सत्याग्रह की आत्मा का हनन करना है।
आधुनिक युग में शस्त्रास्त्र बहुत बढ़ गय है । विज्ञान नये नय तेज और सहारव शस्त्र निर्माण कर रहा है। अतएव जव विसी राष्ट्र मे, नगर में या प्रान्त मे या किसी विशेप को लेकर सघप होता है तो वह दंगे का रूप ले लेता है । लोग तुरन्त शस्त्रो से पात्रमण करने पर उतारू हो जाते हैं । अहिंसर'ममाज रचना के लिए यह ठीक नहीं। ऐसे समय मे नागखिो मे उत्तेजना फरजाती है और वे शात्ति के लिए पुलिस की सहायता लेते हैं । पुलिस आती है और भीद को बेकाबू देखती है ता लाठी, गोली, नथुगम, बदू आदि का प्रयोग करती है । एसे अवसर पर अहिंसव लोगा का क्त्तव्य है कि वे शानि सनिव बनवर, निभयतापूर्वक, अहिंसक ढग से, हृदय की सद्भावना को ही सवल स्त्र वनावर दगाइयो को प्रेम से समभावें और गात करें। अगर दो विरोधी पक्षा मे से कोई पक्ष उन पर प्रारमण करता है, मार पीट करता है, लाठी का प्रहार करता है या प्रय कोई हिसापूण हरक्त करता है तो नाति से मन कर ! कदाचिन प्रेमपूर्वक समझाते-समझात प्राणो पर प्रा पन तो सहप प्राण देने में भी सकाच
करें। __ऐसे हिमावीर मर पर भी अमर हो जान है । उनको अहिंसा का प्रभाव दगाझ्या ये हृदय का बदन देता है और उनकी बलि कभी निग्यक नहीं जाती। पर ऐमे गान्ति सनिका की मेना व्यवस्थित म्प में तालीम पाई हुई पहले से ही तयार हानी चाहिए, तभी वह एन मौके पर अपने उद्देश्य म सफलता प्राप्त बरसपत्ती है। प्राचाय विनोबा जी और श्री सन्त घालजी ने इस प्रकार की नाति सेना तयार की है जो अनेक प्रमगो पर सफर हुई है । इस सना का प्रयोग सभी प्रकार के दगा के अवसर पर किया जा साता है।
सामा य दगा का इस प्रकार हिसर प्रतिकार किया जा मरता है,