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________________ हिंसात्मक उपायो से विश्व सुरक्षा के स्वप्न 113 को प्रात्साहित करती है जब कि अहिंसा सत्तामूलक भावना के साथ समत्व स्थापित कर व्यक्ति और राप्ट में सामजस्य सजोती है। पर हाँ, अहिंसा के सिद्धात केवल पाणी तक ही सीमित न हा, बल्कि जीवन इनसे प्रात प्रोत हो । हिंसात्मक साधना स भले ही क्षणिक शाति का अनुभव हा, पर यतत वह परिताप ही छोड जाते हैं, जसावि महाभारत के युद्ध से स्पष्ट है, पाण्डब अपना कौशल युद्ध क्षेत्र म दिसाकर विजेता वने, पर उनके मन म भयकर परिताप था, शान्ति नही थी। हिमा से प्रात्मग्लानि कोही जम मिलता है। कहा जाता है कि अणुवम से हीरोशिमा नष्ट हो गया था, उसका शोधक डॉ० चाल्म निकोलस था और उसकी पत्नी का नाम मरी था । अमेरिका का प्रमुख शान्तिवादी रॉबट सिडनी निकोलस का परम मिन था । मरी का वात्सल्यमय हृदय सिडनी के ससग से बदल गया और वह शातिवादिनी बन गई। अणुबम का शोघ-काय पूर्ण हात ही मरी और सिडनी ने निश्चय दिया था और अपने पति को भी समझाया था कि इसके उपयोग और निमाण का रहस्य पिसी भी राष्ट्र का व न वताएँ । निकोलसन इम स्वीकार नहीं किया, फलत मरी न निकालस का त्याग कर दिया। वह एकावी अपने टीम नामक एक वृद्ध नौकर के साथ रहने लगा। । अत म हीराशिमा पर बम गिरा, लाखा व्यक्ति मृत्यु के मुख म प्रविष्ट हो गय। अविशिष्ट अपग, अपाहिज और सदा के लिए बार हा गय । इसी समय एक व्यक्ति गरम राख पर पर जलने के कारण दौडता चला या रहा था, शरीर के कपड़े अध जले ये । परीर श्याम हा चुका था और एसा लग रहा था मानो वह इस राय के ढेर म कुछ खोज रहा हा । वह जेंच टील पर चडार बोला, "He shall go to hell, who has destroyed this beloved town of Japan' (वह अवश्य नरक म जायगा, जिमने जापान के इम मुन्दर शहर वा विनाश किया है। पांच वार इस प्रकार वाल कर एक स्तम्भ पर चढ़ गया, वह नी उसन उपयुक्त वाक्य लिख दिय । स्वय मवमा द्वारा उसी समय एक पान वहाँ लाया गया और व उसे माटर म विठा ले गय। उधर अमरिका मशिलालन को साज के लिए मरी और
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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