SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् .. . दयोरपि समं पापं निर्णीतं परमागमे । - वधानुमोदयोः कौरसत्संकल्पसंश्रयात् ॥ ४५ ॥ अर्थ-घातकरनेवाला और घातकरनेवालेकी प्रशंसा करनेवाला इन दोनोंका पाप परमागममें समानही निर्णय किया गया है । क्योंकि जैसे घात करनेवालेको जो पाप हुआ सोभी अशुभ परिणामोंसे हुआ है, उसी प्रकार भले जाननेवालेके भी अशुभ संकल्प हुए विना उसकी अनुमोदना नहीं हो सकती है। इसकारण हिंसा करने और उसको भला जाननेवालेको पाप बराबर लगता है ॥ ४५ ॥ संकल्पाच्छालिमत्स्योऽपि स्वयंभूरमणार्णवे। महामत्स्याशुभेन खं नियोज्य नरकं गतः ॥ ४६॥ अर्थ-देखो वयंभूरमणसमुद्रमें शालिमत्स्य महामत्स्यके परिणामांसे अपने परिणाम मिलाकर नरकको गया । यह अन्य कोई हिंसा करै उसका जो आप अनुमोदन करे तो उसके संकल्पमात्रसे उसीके समान पाप होनेका उदाहरण है ॥ ४६ ॥ अहिंसैकाऽपि यत्सौख्यं कल्याणमथवा शिवम् । दत्ते तद्देहिनां नायं तपाश्रुतयमोत्करः ॥ ४७ ॥ . अर्थ-यह अहिंसा अकेलीही जीवोंको जो सुख, कल्याण वा अभ्युदय देती है वह तप, खाध्याय और यमनियमादि नहीं दे सकते हैं। क्योंकि धर्मके समस्त अंगोंमें अहिंसाही एक मात्र प्रधान है ॥ १७ ॥ . दूयते यस्तृणेनापि खशरीरे कदर्थिते । . . . स निर्देयः परस्याओं कथं शस्त्रं निपातयेत् ॥४८॥ . अर्थ-जो मनुष्य अपने शरीरमें तिनका चुभनेपर भी अपनेको दुःखी हुआ मानता है वह निर्दय होकर परके शरीरपर शस्त्र कैसे चलाता है ? यह बड़ा अनर्थ है ॥ ४८ ॥ जन्मोग्रभयभीतानामहिंसैवौषधिः परा। __ तथाऽमरपुरी. गन्तुं पाथेयं पथि पुष्कलम् ।। ४९ ॥ अर्थ-इस संसाररूप तीव्र भयसे भयभीत होनेवाले जीवोंको यह अहिंसाही एक परम औषधि है । क्योंकि यह सबका भय दूर करती है तथा वर्ग जानेके लिये अहिंसाही मार्गमें अतिशय वा पुष्टिकारक पाथेयखरूप ( भोजनादिकी सामग्री) है ॥ ४९ ॥ . किन्त्वहिंसैव भूतानां मातेव हितकारिणी। . . . तथा रमयितुं कान्ता विनेतुं च सरखती ॥५०॥ अर्थ-यह अहिंसा इतनीही नहीं है, किन्तु जीवोंको माताके समान रक्षा करनेवाली
SR No.010853
Book TitleGyanarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Baklival
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1913
Total Pages471
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy