SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५२) ...सद्यायमालाः - Ans - - ...॥अथ सोदागरनी सद्याय ।। - ॥.लावो लावोने राज, मोंघां मुलनां मोती ॥ ए देशी । ..... ॥सुण सोदागर बे, दिलकी बात हमेरी ॥ तें सोदागर र विदेशी, सोदा करनकुं आया ।। मोसम आये माल. सवाया, रतनपुरीमां गया । ।। सुण्॥ १॥ तिनुं दलालकुं हर समझाया, जिनसें बहोत न फाया ॥ पांचुं दीवानुं पाऊं जडाया, एककुं चोकी विगया ॥ सु० ॥॥ नफा देख कर माल विहरणां, चुआ कटे न युं धरनां ॥ दोनुं दगाबाजी दूर करना, दीपकी ज्योतें फिरनां ॥ सु०॥३॥ उर दिन वली मेहेलमें रहनां, बंदरकुं न हिलानां ॥ दश सहेरसें दोस्तिहिं करना, उनसे चित्त मिलानां ॥सुणा ॥४॥ जनहर तजनां जिनवर नजनां, सजना जिनकुंदला ॥ नवसर हार गले में रखनां, जखना लखकी कटाइ ॥ सु॥५॥ शिरपर मुगट चमर ढोलाइ, अम घर रंग वधाइ ॥ श्रीशुजवीर विजय घर जाइ, होत सताबी सगा॥ सु॥६॥इति ॥ सोदागरनी सद्याय ॥ . ॥ अथ आपवनावनी सधाय ॥ ॥ आप खनावमा रे, अबधू सदा मगनमें रहेनां ॥ जगत जीव हे कर माधीना, अचरिज कबुथ न लीना ॥आ॥१॥ तुम नहीं केरा कोश नहीं तेरा, क्या करे मेरा मेरा ॥ तेरा हे सो तेरी पास, अवर सबे अने रा॥ आ॥२॥ वपु विनाशी. तुं अविनाशी, अब हे श्नको विलासी ॥ वपु संग जब पूर निकाशी, तब तुम शिवका वासी ॥ आप ॥३॥ राग ने रीसा दोय खवीसा, ए तुम मुखका दीसा ॥ जब तुम उनकुं धर करी || सा, तब तुम जगका ईसा ॥आ॥४॥ परकी आसा सदा निरासा, ए हे जग जन पासा ॥ ते काटनकुं करो अन्यासा, लहो सदा सुखवासा ॥आ॥५॥ कबहींक काजी कबहींक पाजी, कबहींक हुथा अप त्रा जी॥ कबहींक जगमें कीर्ति गाजी, सब पुजलकी बाजी ।।आ॥६॥ शुभ उपयोग ने समता धारी, ज्ञान ध्यान मनोहारी ॥ कर्म कलंककुं पूर निवारी, जीव वरे शिव नारी॥आ॥७॥ इति सद्याय ॥ .. . ॥अथ सहजानंदीनी सद्याय ॥ बीजी असरण नावना. ।। ए देशी ॥ ॥ सहजानंदी रे आतमा, सूतो कांश निश्चिंत रे ।। मोह तणा रणीया जमे, जाग जाग:मतिवंत रे ॥ खूटे जगतना जंत रे, नाखी वांक, अत्यंत - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy