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सद्यायमाला.
यारो कू॥5॥ इस खेडे बनण गो जुत्ति, निर्दय नाक फडायो ॥ मा वा बेटी वेचीने, बेटाने परणायो ।वे यारो कू०॥ ॥ रागतणे वश गुरुने गुरुगी, काम करें परायो । कांगानी पेरें कलहो मांझी, कुलगुरु ना म धरायो । वे यारो कू०॥१०॥ वैयर बार वरसनीने बेटो, दीगे गोद खेलायो॥माग्या मेह न वरसे महीयल, लोन्ने धरव्यो सवायो। बे यारो | कूण ॥११॥ कूडा कलियुगनी ए माया, देखी गीत गवायो। पत्नणे प्री-|| तिविमल परमारथ, जिन वचनें सुख पायो |बे यारो कू० ॥१॥इति।।
॥अथ एकादशनी सद्याय ॥ आज महार एकादशी रे, नणदल मौन करी मुख रहिये ।। पूच्या नो पडुत्तर पागे, केहने कां न कहियें ॥ आ० ।। १ ।। माहारो नणदोश तुमने वहालो, मुझने ताहारो वीरो ॥ धूआडाना बाचका नरतां, हाथ न आवे हीरो।आ॥॥ घरनो धंधो घणो कस्यो पण, एक न आव्यो आडो-॥ परन्नव जातां पालव जाले, ते मुझने देखाडो ॥ा ॥ ३ ॥ मागशिर शुदि अगीयारश महोटी, नेवु जिननां निरखो ॥ दोहोढशो क- | ल्याणिक महोटां, पोथी जोइने हरखो ॥ आ॥४॥ सुव्रत शेठ ययो शु६ श्रावक, मौन धरी मुख रहीयो ।। पावकपुर सघलो परजाल्यो, एदनों कांश न दहीयो ॥आ०॥५॥ आठ पदोर पोसो ते करिये, ध्यान प्रनु नुं धरिये ॥ मन वच काया जो वश करियें, तो नवसायर तरिये ॥
आ०॥६॥ र्या समिति नाषा न बोले, आअवटुं पेखे ॥ पडिक्कम गाशुं प्रेम न राखें, कहो केम लागे लेखे ॥आ॥ ॥ कर ऊपर तो माला फिरती, जीव फरे मनमांही ॥ चितडं तो चिहुं दिशि मोले, इणे नजने सुख नाही ॥०॥ ॥ पौषधशालें लेगां पश्ने, चार कथा वली सांधे ॥ कांक पाप मिटावण आवे, वारगणुं वलि बांधे ॥ आ० ॥ए। एक नम्ती आलस मोडे, बीजी नघे बेठी ।। नदियोमांश्री काश्क निसरती, ज दरियामां पेग ॥आ०॥१०॥ आई बाई नणंद नोजाई, न्हानी मोहोटी वने ॥ सासु ससरो मा ने मासी, शीखामण ने सहुने ॥ ॥ ११ ॥ नदयरतन वाचक नपदेशे, जे नर नारी रहेशे ॥ पोसा मांदे प्रेम धरीने, अविचल लीला लेशे । प्रा०॥१॥
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