________________
(३४६)
संघायमाला...
इंनी मांहि, दश लाख मए लोट नित्य वरे ॥ जी ॥ ११ ॥ जी० ॥ इ परें कवि समेत, निज़पुर निकट यावी वसे || जी० ॥ जी० ॥ निज सुत महापद्म जाण, राणी नरेंद्र मन उसे ॥ जी० ॥ १२ ॥ जी० ॥ इति ॥ ॥ दोहा ॥
1
॥ उत्सव महोटे मंमाशुं खावे जनकपुरमांद ॥ पेसारो विधि क स्यो, जूप नयर उत्सादिं ॥ १ ॥ महापद्म चक्री शकुं, जरतराज पद सार ॥ पद्म यदि पति मर्ती, करे अनिषेक उदार ||२|| इ समे सुव्रत मुनी श्वरा, घणा मुनि परिवार || हस्तिनागपुर या विया, नृपवन चैत्य मजार ॥ ३ ॥ पद्मराय यादें बहू, नयरी पर्षदा संग ॥ विष्णुकुमार पण वांदवा,
वे धरि उबरंग ॥ ४ ॥ बंदी गुरु देशना सुखी, दुवो परमं वैराग ॥ पद्म विष्णु दीक्षा ग्रही, की क्रद्धि महाजाग ॥५ ॥ घणा जूप परिवारशुं, श्री li शुभ विष्णुकुमार | पंच महाव्रत थिवरपे, लिये घणे मनोहार ॥ ६ ॥ ॥ ढाल सातमी ॥
॥ जिम जिम ए गीरि जेटिये रे ॥ ए. देशी ॥ पद्मराय कृषि रंगमां रे, पाले संयम शिवदाय ॥ सलूणा ॥ अतिचार नवि श्राचरे रे, टाले सं यम चाय ॥ स० ॥ १ ॥ जिम जिम ए. ऋषि भेटीये रे, तिम तिम पाप लाय || स० ॥ पंच समिति त्रण गुप्तिमें रे, निवसे प्रवचनमांहि ॥ स० || जिम० ॥ २ ॥ क्रोधादिक अरिया प्रत्ये रे, जी त्यो पद्म मुनींद्र || || प्रतिबंध वायुपरे रे, विचरे धरा योगींद्र ॥ स० ॥ जिम० ॥ ३ ॥ करि अणसं आराधना रे, पहोतो अमर विमान ॥ स० ॥ पद्म देव सुख जोगवी रे, चवि जाशे निर्वाण | स० ॥ जिम० ॥ ४ ॥ बहुलता मद्दा पद्मजी रे, निज जननी की आश ॥ स० ॥ पूरे मनोरथ जावशुं रे, जि नरथयात्रा तास ॥ सं० ॥ जिम० ॥ ५ ॥ जिनमंमित पृथिवी करी रे, चै
घणां मनोहार ॥ ० ॥ संघ यात्रा विधिशुं घणी रे, लेई कीध जुहार ॥ स० ॥ जिम ॥ ६ ॥ शिवमतनी लघुमातनुं रे, राख्युं वली पण मान ॥ स० ॥ जैन्यधर्म शिव श्रांतरो रे, गो थोयर पय जाण ॥ स० ॥ जिम० ॥ ७ ॥ चक्रवर्त्ति पद जोगवे रे, पूरण षट खंम राज ॥ स० ॥ धर्माचरण ias प्रत्ये रे, करे नरेंद्रज साज ॥ स० ॥ जिम० ॥ ८ ॥ इति ॥