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(२३६)
सद्यायमाला.
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मियों, समुंउपाल तस नाम ॥ स ॥ पुत्र कलत्र लेश् आवीयो, पालक चंपागम ॥ सम्॥ ॥॥.अनुक्रमें ताते परणावीयो, रुक्मिणी नारी सरूप ॥ स०॥ एक दिन गोंख बिराजतो, देखे नगर खरूप ॥ स॥ सम्॥५॥ एक चोर तव दीग्डो, तस कंठ कणयर माल ॥ संगाहें बंधनें बांधीयो, नोगवी फुःख असराल ॥स॥ स॥६॥ते देखी तस उपनो, मन वैराग्य अपार ॥ स॥ समुजपाल तव चिंतवे, जुन कठिन कर्म अधिकार ॥ स० ॥ स॥७॥ मांताने पूर्वी लीये, संयमनार कुमा र ॥'स॥ मुक्ति गयो मुनिराजीयो, सुख पाम्यो श्रीकार ॥ स ॥स ॥७॥ विजयदेव पटें जयो, विजयसिंह गणधार ।। स । शिष्य उदय वाचक कहे, मुनि गुणमोहनगार ॥ संम् ॥ स ॥ ॥ इति ॥
॥अथ छाविंश रहनेमि अध्ययन सद्याय प्रारंजः॥ ॥ ॥ फागनी ढालनीवा सूरिती महिनानी देशी ॥ सौरीपुरः अति सुंदर,
श्रीवसुदेव नरिंद॥रोहणी देवकी राणी, राम केशव दोश्नंद॥समुवि जय वली राजीयो,राणी शिवादे कंत ॥मन आनंदन नंदन, नेमीश्वर अ रिहंत॥१॥ सहस अव्योतर सुंदर, लक्षण अंग अन्नंग ॥ अनुक्रमे पामीयु मोहन, यौवन नवरस रंग।एकदिन तेहतणे कारण, गोपीनो जरतार ॥ ग्रसेन पासें मागे, राजुल राजकुमारी ॥॥ मनअलि मालती मालती, चा लती गजगति गेली ॥ मयणतणी सेना सजी, विकसी मोहनवेली ॥ वड सोनागिणी रागिणी त्रिजुवन केरो सार॥जान लेश्ते परणवा, आवे नेम कुमार ॥३॥ चाले हलधर गिरिधर, बंधूर बंधव जोडि ॥ रवि शशी मंगल जीपता, दीपता होडाहोडिं॥ शिरसिंपूरीया साथिया, हाथिया मत्त गि रिंदाबंदिजन बिरुदावली, बोले नव नव बंद ॥॥ मंबरें अंबर गाजे, वा जे मंगल तूर ॥ फेरी नफेरी.नफेरीय, नेरीय चुंगल नूरि ॥राचे माचे ना चे. जाचे साचे प्रेम ॥ गुणमणि उरडी गोरडी, मोरडी पासि जैम ॥५॥ करे केश सुकुमाली, बाली गीत कबोल ॥ केवि सुलग शणगारी, प्यारी चढे चकमोल ॥ चतुर चकोर डि गोरडी, खूण उतारे एक॥जय जय नाद सुणावती, आवती धरती विवेक ॥६॥ हय गय रथ पायक वली, मिलीय यादवनी जान ॥ एणिपरें बहु आमंबरे, आवे यासुलतान ॥ ग्रहणंमांहे शशीपरें, सोहे नेमि कुमार ॥ अनुक्रमें तोरण बारण, पहोता-साथे मुरा ।
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