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________________ आत्मोपदेश तथा शिखामणनी सद्याय, (१५) - -- - - - - - -- - - - - - -- - - - - - - - ॥अथ द्वितीय श्री आत्मोपदेशनी सद्याय॥ ।। हुं तो प्रणमुं सद्गुरु राया रे, माता सरसतीना वंशू पाया रे, हुं तो गाऊं आतम राया ॥जीवनजी वारणे मत जाजो. रे, तुमे घेर बेग कमा वो चेतनजी, वारणे मत जाजो रे ॥१॥ ताहरे बाहिर उर्मति राणी रे, के तासुंकुमति केहेवाणी रे, तुनें नोलवी बांधशे ताणी रे ॥जी॥ बा ॥ २॥ ताहारा घरमां ने त्रण रत्न रे, तेनुं करजे तुं तो यत्न रे, ए अखूट खजीनो ने धन रे॥जी॥ वा ॥३॥ ताहरा घरमां पेग ने धूतारा रे, तेने काढोने प्रीतम प्यारा रे, एथी रहो ने तुमें न्यारा ॥जी॥वा॥ ४॥ सत्तावनने काढो घरमांथी रे, त्रेवीशने कहो जाये शहाथी रे, पड़ी अनुनव जागशे मांहेथी ॥जी॥ वा॥५॥ शोल कषायने दीयो शी खर, अढार पापस्थानकने मगावो जीख रे, पढ़े आठ करमनी शी बीक ॥जी॥ वा ॥६॥ चारने करोने चकचूर रे, पांचमीशुं था हजूर रे, पडे पामो आनंद नरपूर ॥जी॥ वा॥७॥ विवेकदी करो अजुवा लोरे, मिथ्यात्व अंधकारने टालो रे ॥ पढ़ें अनुजव साथे मालो रे ॥ जी० ॥ वा ॥॥ सुमति साहेलीशुं खेलो रे, उमतिनो डेडो मेहलो रे, पढ़े पामो मुक्ति गढ हेलो रे ॥जी॥ बा ॥ ए॥ ममतानें केम न मारो रे, जीती वाजी कांहारो रे, केम पामो नवनो पारो रे ॥जी॥ ॥ वा॥१०॥ शुद्ध देवगुरु सुपसाय रे, मारो जीव आवे कां गय रे, पळे आनंदघनमय थाय रे ॥जी॥ वा ॥११॥इति ॥ ॥अथ शियल विषे शिखामणनी सद्याय ॥ ॥ ढाल पहेली ॥ सुण सुण प्राणी शीखडी, लंपटशुं लोनाणो रे ॥ लल नाशुं लागी रह्यो, वदन जोश विकलाणोरे ॥१॥ नारीने निरखी रखे, जा णो चंपकली ए फूली रे।। समजे विषनी वेलडी, मत रहे तिण पर फूली रे ॥ ना० ॥२॥ण रोवे दणमें हसे, क्षण वली विरA प्रजाले रे॥त्री त धरे क्षण पापिणी, क्षण वली रोष देखाडे रे ॥ ना॥३॥ जन पूजे तब जारने, कहे मुऊ बांधव एहो रे ॥ सूंस करी अतिआकरा, कूड कप टनो गेहो रे ॥ ना ॥ ४ ॥ समजावी करी सानशु, केने नयननी शा ने रे ॥ पमनी गति शाने करी, वचन तणे अनुमाने रे ॥ ना॥५॥ मुख मरडीने कोश्शु, वात करे विषयाली.रे ॥पाडी पुरुषने पारामां, देश - - - - - - -- - - - - - - -
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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