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सद्यायमाला
में दवे किम रहेवाय ॥ सासू ससरो पीउ पनोतो, सघलां खावा धाय ॥ ॥ रू० ॥ १ ॥ एक कड़े सुए साथण श्रापणे, एकज लगने परणी ॥ ता हारे ढैया कम बोला, महारे नहीं घरणी ॥ रूप ॥ २० ॥ एक कड़े माहारे पामो धाव्यो, एक कहे माहारे पानी | बाई तुं लेवाने यावजे, 'बास करेशुं जामी ॥ रू०॥ २१ ॥ एक कहें इम महारी सासु, मुंजने लाड लडावे, वस्ये वावस्ये सारो सुधरो, मुजविण मूल न जावे ॥ रू० ॥ २२ ॥ एक कड़े तु वहूर वारु, तुजने जलेंज जाइ ॥ माहारी बहुचर मुजने विगोवे, खटरस जोजन खाइ ॥ रू० ॥ २३ ॥ एक कहे सांजल तुं फू, स खर बाइनी वातुं ॥ महारे व्हाणुं जंतुं मलियुं, में जोवराज्यं खातुं ॥ रू || २४|| एक कहे सुए अमुकी बार, आघरणी ने खोले ॥ सात सोपारी मु जने नापी, में पीती शोले ॥ रू०॥२५ ॥ जोश्ती बाइयें जमवा तेड्यां, सीरो सघलो खूटो ॥ शाठ दिवसनी सुखडी श्राणी, खवरावी करी कूटो ॥ रू०||२६|| एक कहे मुज मांचो त्रूटो, पायो एकज जांगो ॥ सक करवा वि केम सुवाये, चिंत्यो दुःख लागो ॥ रू० ॥ २७ ॥ एकं कहे मुज अंग अकलाये, आलस अधिकुं श्रावे ॥ मांकण मुया करडे रातें, तेहथी उंघज नावे ॥ रू० ॥ २८ ॥ एक कहे मुज चूलो जांगो, ते जइ करवो रू डो ॥ एक कहे मुज प्रीतम प्यारे, चूंपे आयो चूडो ॥ रू० ॥ २७ ॥ एक कहे महारा रेंटीयानो, त्राकलडो त्रटकाणो ॥ एक कहे मुज मालज का पी, किशुं नहीं कंताणो ॥ रू० ॥ ३० ॥ एक कहे उपासरें आन्या, कहो किशुं कोई खाले, वे कोकडी कांतुं जो बाई, घरमां शाकज चाले ॥ रू० ॥ ३१ ॥ एक कहे धोवाने जश्यें, जो बाई तुं आवे || एक कड़े मुज धान्य सव्यो ते, घर धंधे मन धावे ॥ रू० ॥ ३२ || एक कहे हे माहा री साथण, जो तुं मुजघर यावे ॥ माथो गुंथीने मनगमती, करशुं वातो जावें ॥ रू० ॥ ३३ ॥ एक कड़े में कुलथी रांधी, एक कड़े में चोला । एक कड़े में वा वघारा, ते थया ढाकमढोला | रू० ॥ ३४ ॥ एक कहे मुज घेवर मीठा, एक कड़े दल खाज ॥ एक कहे मुज लाऊ जावे, सखर ज: लेबी जाजां ॥ रू० ॥ ३५ ॥ एक कहे देशमालव मीठो, एक गुजरात खाणे || एक कहें वे मरुधर मदोटो, सोरव सकल सुजाणे ॥ रू० ॥ ॥ ३६ ॥ एक तो आप राज वखाणे, अपरराजं एक निंदे ॥ एक कड़े