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## Composed by Somasen Bhattaraka:
**Two hands distance:**
* Crows, roosters, cats, donkeys, camels, village pigs, lepers, dogs, diseased people, those with mutilated limbs, those who have fallen from their caste, cunning people, intoxicated people, prison guards, people wearing dirty clothes, and Domba (a caste) etc.
**Three hands distance:**
* People with hair on their bodies, teeth, blood, excrement, pus, phlegm, saliva, food of Shudras, earthen pots, etc.
**Four hands distance:**
* Carpenters, washermen, goldsmiths, copper workers, blacksmiths, makers of vermilion, asafoetida, and hing, surgeons, fire doctors, those who apply leeches, and those whose bodies are extremely weak.
**Five hands distance:**
* Menstruating women.
**Six hands distance:**
* Women in childbirth.
**Seven hands distance:**
* Chandala, leather workers, and Meel (a caste) etc.
**Two yugas (a very long time) distance:**
* Meat and liquor.
**Five yugas distance:**
* Dancing, horses, foul smells, and corpses.
**Avoid contact with:**
* Ash, dust, smoke, chaff, etc. from the houses of untouchables.
**A person who is compassionate towards living beings should go to their own house, avoiding contact with these things.**
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सोमसेनभट्टारकविरचित -
रोमकेशखुरान्दन्तान्रक्तविण्मूत्रपूयकान । श्लेष्मनिष्ठीवशूद्रान्नहण्डिकादीन् द्विहस्ततः ॥ ६ ॥
काककुर्कुटमार्जारखरोष्ट्रग्रामस्करान् ।
कुष्टिकुर्कुररोगार्तच्छन्नांगपतितान्नरान् ॥ ७ ॥
कितवान्मत्तमत्ताँश्च बन्धनागाररक्षकान् । 'मलाक्तवस्त्रसंयुक्तान् डोम्बमुख्यान् त्रिहस्ततः ॥ ८ ॥
तक्षकात्रजकान् स्वर्णकारकान् ताम्रकुट्टकान् । अयोनिगड सिन्दूरहिंगुहिंगुलकारकान् ॥ ९ ॥
शस्त्रवैद्यानग्निवैद्याञ्जलौकारक्तपायिनः । चर्मादीनतिजीणगान् त्यजेद्धस्तचतुष्टयात् ॥ १० ॥
मद्यविक्रेता, शूद्र, कुम्हार, मद्यपायी, नाई, सिलावट, जुलाहे, काछी, माली, हिंसक और मुसलमान आदिको न छ्वे । जूँठी - पत्तल - पत्ते, चर्म, हड्डी, सींग, नख, रोम, केश, खुर, दाँत, लहू, विष्टा, सूत्र, पीप, कफ, खँकार, शूद्रका भोजन, मिट्टीकी हँडिया वगैरहको न छ्वे-इनसे दो हाथ दूरसे चले । काक, मुर्गे, बिल्लियाँ, गधे, ऊँट, ग्राम्य-सूकर, कोढ़ी, कुत्ते, रोग पीड़ित, छिन्न अंग, जातिच्युत, धूर्त, नशेबाज, कैदखानेके सिपाही, मैले कपड़े पहने हुए मनुष्य और डोम, आदिकसे ' तीन हाथ दूर चले । मिस्तरी, धोवी, सुनार, तमेरे, लोहार, सिन्दूर, हींग, हिंगुल बनानेवाले मनुष्य, शस्त्रवैद्य (नस्तर आदि लगानेवाले ), अग्निवैद्य ( ढाम देनेवाले ), जौंक सिंगी लगानेवाले मनुष्य और जिनका शरीर अत्यन्त जीर्ण हो गया है ऐसे मनुष्योंका चार हाथ दूरीसे त्याग करे - इनसे चार हाथ दूर चले ॥ ४ ॥ १० ॥
पञ्चहस्ताद्यतुमतीं सूतिकां हस्तषट्रकतः ।
चाण्डालचर्मकारादीन् हस्तसप्त परित्यजेत् ॥ ११ ॥
रजस्वला स्त्रियोंसे पाँच हाथ, प्रसूति स्त्रियोंसे छह हाथ और चमार, चांडाल, मील आदिकसे सात हाथ हटकर चले ॥ ११ ॥
मांसभारं सुराकुम्भं युगद्वयं तु वर्जयेत् । नृतिरश्वश्च दुर्गान्धिशवं तु युगपञ्चकम् ॥ १२ ॥
ין
अस्पृश्यगृहजं भस्म धूलीधूमतुषादिकान् । अस्पृश्यन्निजगेहं स गच्छेजीवदयापरः ॥ १३ ॥