________________
उत्कृष्ट असंख्यातां वर्ष सुधीमां बाउ जव थश् शके बे. एटले आठ नवमां पूर्व कोटी पृथक्त्व अने त्रण पत्योपम अधिक काल जाणी लेवो अने जघन्यथी सर्वत्र कायस्थिति अंतर्मुहर्तनी जाणी खेवी. तथा ( नारय देवा अ नो चेव के) नारकी जीवो अने देवो मरण पामीने फरी तेज गतिमा उत्पन्न थता नथी एटले नारकी मरी फरी नारकीमा न उपजे अने देवता मरी फरी देवतामां न उपजे. अवश्य एक बे जव बीजी गतिमां करीने पछी : ते गतिमां उपजे, तेम वली देवता मरी नरकमां पण न जाय अने नारकी मरी देवतामां पण न जाय, ए त्रीजु खकाय स्थिति द्वार कह्यं ॥१॥
हवे चोथु प्राण द्वार कहे बेःदसहा जियाण पाणा, इंदि उसासाउ जोगबलरूवा ॥ एगिदिएसु चनरो, विगलेसु सत्त अहेव ॥ ४२ ॥ असन्नि सन्नि पंचिं,-दिएसु नव दस . कमेण बोधवा ॥ तेहि सह विप्पउँगो, जीवाणं नमए मरणं ॥४३॥