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भारतीय प्रार्य-भाषा में बहुभाषिता
७३ ईरानी भाषाएँ-लोग वडी सख्या मे वोलते थे और उनका प्रचलन बहुत विस्तृत था। इन भाषाओ से भी भारतीय आर्य-भाषामो में शब्द लिए जा रहे थे। निस्सदेह ऐसे शब्दो की सख्या तत्कालीन प्रचलित प्रान्तीय भाषाप्रो में उन शब्दो से कही अधिक थी, जिन्हें हम वर्तमान परिस्थिति मे सस्कृत तथा साहित्यिक प्राकृतो मे पा रहे है। वास्तव में, प्राचीन भारत में प्रचलित भाषाओ के सवध में भी यही बात कही जा सकती है, जैसी इस समय है। केवल उस समय अनार्य-भाषामो का क्षेत्र आजकल की अपेक्षा बहुत अधिक व्यापक था। जैसा कि आर्यावर्त में हम आज पाते है, सभवत प्राचीन काल मे भी जनता के अधिकाश भाग में अनार्य-भाषामो (द्राविड तथा ऑस्ट्रिक) का प्रभाव पार्य-भाषाओ की अपेक्षा कही अधिक था। वस्तुत दो सहस्र वर्ष पूर्व तथा उससे भी पहले भारत में बहुभाषिता का प्रचलन लगभग उतना ही था, जितना कि वर्तमान भारत में है।