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प्रेमी-अभिनंदन-प्रथ उसके सामने सहयोग का हाथ बढाया। बाद में डेलीगेशन मिशन आया और वह भी अपने उद्देश्य में असफल होकर लौट गया, फिर भी देश के शासन की बागडोर भारतीयो के हाथ में सौंपने की प्रयत्न जारी रहा और अन्तत उसमें सफलता मिल कर ही रही। आज काग्रेस अपनी समस्त शक्ति के साथ देश की एकमात्र प्रिय और प्रतिनिधिसस्था बनी है और लाखो-करोडो उसके इशारे पर अपना सर्वस्व होमने को तैयार है। यह सब चमत्कार किसका है ? गाधी जी का ।
आज से तीस बरस पहले किसने सोचा था कि सन् '४६ का भारत इतना महान, इतना शक्ति-सम्पन्न, इतना सजग, इतना सगठित, इतना सघर्षप्रिय, इतना धीर-वीर और उदात्त बन जायगा। लेकिन आज वह ऐसा है और उसको ऐसा बनाने में गाधी जी की अलौकिक शक्ति ने अद्भुत काम किया है। अभी भी उनका मिशन सर्वाश में पूरा नहीं हुआ है, उन्हें सर्वत्र शतप्रतिशत सफलता नही मिलती है, कई बार उनको पीछे भी हटना पड जाता है, पर वे कभी पराजित नहीं हुए। उनकी अहिंसा, उनका सत्याग्रह पराजय को जानता नही । उनकी तथाकथित हार भी वास्तव मे जीत ही होती है और जनता का बल उससे बढता है, घटता नहीं। यह उनके शस्त्र की विलक्षणता है और सदा रहेगी।
___ गाधी जी के बारे में अब तक हमने बहुत तरह से सोचा। उनके जीवन के अनेक पहलुओं को देखा। अन्त में हमें यही कहना है कि उनमे मर्यादा पुरुषोत्तम राम की मर्यादाशीलता, योगेश्वर कृष्ण की योगनिष्ठा, अहिंसावतार बुद्ध की प्रखर अहिंसा, महावीर स्वामी की निस्पृह दिगम्वरता, ईसा की पावनता और परदुःखकातरता, एव पैग़म्बर साहब की त्याग-वैराग्य-भरी सादगी और फकीरी ने एक साथ सामूहिक रूप से निवाम किया है। उनमें मानवता अपने चरम उत्कर्ष को पहुंची है। वे अवतारो के भी अवतार-से है और आज के विश्व में पुरुषोत्तम भाव मे विश्व-मानव के प्रतीक। आइये, हम सब अपने इस महामानव को विनम्र भाव से प्रणाम करें और परमात्मा से प्रार्थना करे कि वह अभी युगो तक इस देश और दुनिया के लिए हमारे बीच अपनी सम्पूर्ण शक्ति और विभूति के साथ जीने का बल-सवल दे । बडवानी]
MAHAR
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