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प्रेमी-अभिनंदन-ग्रंथ
-~~ श्रा, = स.
'श्राः + अ + + म = स. + स. + स +
समय निकालने के लिए नियम
८, मट,+८++
आ,
आ,
आ,
सX
XR
(u) VAX x म + (१) २-सXट = = स
सXट २Xट
-ई
-
स
__मxt
-
=
स.Xट,
जैन गणित मे भिन्न सम्वन्धी वीजगणित की क्रियाएँ महत्त्वपूर्ण और नवीन है। मुझे भिन्न (fraction) के सम्बन्ध में शेषमूल, भागशेष, मूलावशेष और शेष जाति के ऐसे कई नियम मिले है जो मेरी बुद्धि अनुसार प्राचीन और आधुनिक गणित में महत्त्वपूर्ण है । नमूने के लिए शेषमूल' का नियम नीचे दिया जाता हैस= कुल संख्या, संस के वर्गमूल से गुणितराशि, व= भाजितराशि, प्र= अवशेष ज्ञातराशि ।
[
(u) स–व स{+ /()+
(v) स= {t+va+}x
.
घवलाटीका मे भी भिन्नो की अनेक मौलिक प्रक्रियाएँ है, सम्भवत ये प्रक्रियाएँ अन्यत्र नही मिलती है। उदाहरणार्थ कुछ नीचे दी जाती है
१-नान/प) = न+पर एक दी सख्या मे दो भाजको का भाग देने से परिणाम निम्न प्रकार आता है
द+ई = (क/क) + १ अथवा =१+ (क/क)
'मूलार्धाग्ने छिन्धादशौनकेन युक्तमूलकृते । दृश्यस्य पद सपद वर्गितमिह मूलजातौ स्वम् ॥
-णितसारसग्रह प्रकीर्णकाध्याय श्लो० ३३