________________
प्रेमी जी की जन्म-भूमि देवरी
५८७
कामताप्रसाद वीरकवि', फदालीरामजी स्वर्णकार 'नूतन', नाथूराम जी 'प्रेमी', बुद्धिलाल जी 'श्रावक',प० लक्ष्मीदत्त जी 'लालप्रताप', बारेलाल जी 'हूँका' प्रभृति विद्वानो के नाम उल्लेखयोग्य है, हिन्दी-साहित्य की प्रशसनीय सेवा की है। श्री नाथूराम जी 'प्रेमी' की व्यापक और ठोस सेवाओ से तो हिन्दी-जगत् भलीभांति परिचित ही है। उनके सुपुत्र हेमचन्द्र भी प्रतिभाशाली युवक थे और उनसे बडी आशाएँ थी, लेकिन अल्पायु में ही वे स्वर्गवासी हो गये। इन पक्तियो के लेखक से भी साहित्य की थोडी-बहुत सेवा बन पडी है । देवरी की उर्वर भूमि अनेको 'मोर' और 'प्रेम' उत्पन्न करे, ऐसी कामना है। देवरी ]