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बुन्देलखण्ड के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सामग्री
श्री रघुवीरसिह एम्० ए०, डी०लिट्०
यह देख कर किसे खेद न होगा कि अव तक वुन्देलखण्ड का कोई भी अच्छा प्रामाणिक इतिहास नही लिखा गया है | गोरेलाल तिवारी कृत 'बुन्देलखण्ड का सक्षिप्त इतिहाम' इस कमी को पूरी करने का सर्व प्रथम प्रयत्न था । श्रतएव ऐमे प्रारंभिक प्रयत्न में जो त्रुटियां रह जाना स्वाभाविक है, वे सब उक्त ग्रंथ में पाई जाती है। सच पूछा जाय तो हजारो वर्षों का ठीक-ठीक क्रमवद्ध इतिहास लिखना किमी भी एक इतिहासकार के बूते की बात नही है, विशेषतया जब कि उस इतिहासकार को प्रत्येक काल के लिए पूरी-पूरी खोज और श्रावश्यक गंभीर अध्ययन करना पडे । वुन्देलखण्ड परिषद् ने बुन्देलखण्ड का इतिहास लिखने का प्रस्ताव पास किया है, परन्तु उक्त प्रायोजन को प्रारंभ करने मे समय लगेगा । प० वनारसीदाम जी चतुर्वेदी उस युग के स्वप्न देखते है जव बुन्देलखड के मव प्रसिद्ध महत्वपूर्ण व्यक्तियो की सुन्दर प्रामाणिक जीवनियाँ लिखी जा चुकी होगी, परन्तु अभी तक किमी ने छत्रमाल बुन्देला का भी प्रामाणिक सम्पूर्ण जीवन-चरित लिसने का विचार नहीं किया है । दूरदेशी वगाली और मलयालम भाषा के उपन्यासकारो ने छत्रसाल की जीवन-घटनाओ को लेकर अनेकानेक ऐतिहासिक उपन्यासो की रचना की है, लेकिन प्रामाणिक इतिहास और जीवनियों के प्रभाव में वे कई एक भद्दी गलतियाँ भी कर बैठे है ।
प्रकवर के शासनकाल से ही बुन्देलखण्ड का मुगल साम्राज्य के साथ पूरा-पूरा मवव स्थापित हो गया था, परन्तु श्रौरगजेव के गद्दी पर बैठने के बाद मुग़ल साम्राज्य एव बुन्देलों में जो विरोध उत्पन्न हुआ, वह छत्रमाल बुन्देला की मृत्यु तक निरन्तर चलता ही रहा । इसका परिणाम यह हुआ कि इन श्रम्मी वर्षों का बुन्देलखण्ड का इतिहास मुग़ल साम्राज्य के इतिहाम के माय इतना सम्बद्ध हो गया है कि एक के अध्ययन के बिना दूसरे का ज्ञान पूरा नही हो सकता । यही कारण है कि बुन्देलखण्ड के तत्कालीन इतिहास की प्रचुर सामग्री मुगल साम्राज्य के इतिहास सववी प्रावार-यो में हमें प्राप्त होती है । वुन्देलखंड एव मराठी के इतिहासकार अपने चरित्र नायक या प्रान्त-विशेष का इतिहास लिखने में प्राय उनके विरोधी मुग़लो मे सम्बद्ध ऐतिहासिक सामग्री की पूर्ण उपेक्षा करते है, किन्तु यह प्रवृत्ति ऐतिहामिक शोव की दृष्टि से उचित नहीं है ।
श्रीरगज़ेब एव उसके उत्तराधिकारियो के शासनकाल सवची ऐसी ऐतिहासिक सामग्री हमे प्राप्त है कि उनसे बुन्देलखण्ड के तत्कालीन इतिहान पर बहुत कुछ प्रकाश पडता है एव उसकी सहायता से बुन्देलखंड में होनेवाली घटनाओ का ठीक-ठीक क्रमवद्ध इतिहान लिखा जा सकता है । बुन्देलखड का तत्कालीन इतिहास लिखते समय इस ऐतिहासिक सामग्री का उपयोग करना अत्यावश्यक है । यह मारी सामग्री विशेषतया फारमी भाषा में ही प्राप्य है ।
१ – मुगलकालीन अखवारात एव पत्र-संग्रह
इस सामग्री में सर्व प्रथम श्राते हैं मुगल दरवार मे लिखे गये 'अखवारात इ-दरवार इ-मुअल्ला ।' औरगज़ेब के समय में दिन भर में जब-जब दरवार होता था, वहाँ अखवार -नवीस उपस्थित रहते थे, जिनका कार्य यही होता था कि दरवार मे वादशाह की मेवा मे अर्ज किए गए साम्राज्य - शासन के वृतान्त, सुदूर प्रान्तो के हालात एव इसी प्रकार की सारी बाते और उन पर वादशाह द्वारा दिए गए हुक्मो का पूरा-पूरा ब्योरा लिखें। इन अखबारात की नकलें प्राय सारे प्रवान उमरा एव नवाव प्राप्त कर लेते थे । श्रौरगज़ेव के शासनकाल के ऐसे अखवारात का एक बहुत वडा सग्रह जयपुर राज्य के मग्रह में प्राप्त था । इस सग्रह मे से कुछ बडल कर्नल टॉड अपने साथ लेगया और ये अखवारात श्राजकल लदन की रॉयल एशियाटिक सोसायटी के सग्रह में सुरक्षित है ।
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