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________________ ५६७ बुन्देलखण्ड लक्ष्मीवाई हुई यहाँ झांसी की रानी, जिनकी वह विख्यात वीरता सब ने मानी, महाराष्ट्र का रक्त यहाँ का था वह पानी, छोड गया ससार मध्य जो कीति-कहानी, अबला सबला बने, यही वह नीर-भूमि है। वीराङ्गना बुदेलखण्ड वर वीर-भूमि है ॥ तुलसी, केशव, लाल, विहारी, श्रीपति, गिरधर, रसनिधि, रायप्रवीन, भजन, ठाकुर, पदमाकर, कविता-मदिर-कलश सुकवि कितने उपजाये, कौन गिनावे नाम जाय किससे गुण गाये, यह कमनीया काव्य-कला की नित्य भूमि है। सदा सरस बुदेलखण्ड साहित्य-भूमि है । ग्राम-गीत ग्रामीण यहाँ मिल कर गाते है, सावन, सैरे, फाग, भजन उनको भाते है, ठाकुरद्वारे यहाँ अधिकता से छवि छाजें, मन्दिर के अनुरूप जहाँ सङ्गीत-समाजे, यह हरिकीर्तनमयी प्रसिद्ध पुनीत भूमि है। स्वर-सद्धलित बुदेलखण्ड सङ्गीत-भूमि है । यहाँ समय अनुसार सभी रस हम पाते है, वन, उपवन, बूटियां, फूल, फल उपजाते है, गिरि-वन-भूमि-प्रदत्त द्रव्य मिलते मनमाने, गुप्त प्रकट है यहां हेम हीरो की खानें, यह स्वतन्त्र महिपाल-वृन्दमय मान्य भूमि है। वसुन्धरा बुन्देलखण्ड धन-धान्य-भूमि है ॥ यहां सेउडा सिंध मध्य सनकुना जहाँ है, वह विस्तृत हृद स्वत सुनिर्मित हुआ जहाँ है, इधर दुर्ग उत्तुङ्ग उधर बिन्ध्याचल ऊपर, वर्षा में वह दृश्य विलक्षण है इस भूपर, सनकादिक की तीन तपस्या-स्थली भूमि है। भव्य दृश्य बुदेलखण्ड वह भली भूमि है । चित्रकूट गिरि यहाँ जहाँ प्रकृतिप्रभुताद्भुत, वनवासी श्रीराम रहे सीता-लक्ष्मण-युत, हुमा जनकजा-स्नान-नीर से जो अति पावन, जिसे लक्ष्य कर रचा गया धाराघर-धावन, यह प्रभु-पद-रजमयी पुनीत प्रणम्य भूमि है। . रमे राम बुदेलखण्ड वह रम्य भूमि है॥
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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