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'माणिकचन्द्र अन्यमाला और उसके प्रकाशन ग्रन्य है। मगोधक प० इन्द्रलाल शास्त्री नया प० थी लाल भात्री। पृष्ठ मला १०२। म० १९७७ । मूल्य पन्द्रह आना। (अप्राप्य)
१६. नयचश्मंग्रह : प्रयकना देवमेन । मपाठक प० वीवर शास्त्री, गोलापुर । इनमें निम्नाक्ति तीन अन्य मगृहीत है
(१) आलाप पद्धति, (२) लवृनय चक्रम, (२) वृहन् नयचक्रम् ।
प्रत्येक ग्रन्य में वस्तु-धर्म का कयन करने वाली नमन मभाविन गलियां अयात् नयों का विवेचन है। पृष्ठ सख्या १८८ । २० १९७७ । मूल्य पन्द्रह पाना । (अप्राप्य)
१७ पप्राभूतादिसग्रह : प्रन्यकर्ता प्राचार्य कुन्दकुन्द। यह जैन सिद्धान्त न मवव रखनेवाला मग्रह अन्य है। इनमें निम्नलिखित प्राकृत ग्रन्यो का नग्रह है
(१) दर्शन प्रान्त, (२) वारिच प्रामृत, (B) मूत्र प्रामृत, (८) गेष प्राभृन, (५) भाव प्रामृत, (s) मोन प्रान्त, (७) लिङ्ग प्रामृत, (२) गील प्रामृत, (8) न्यणसारं और (१०) द्वादशानुप्रेक्षा।
मशोषक प० पन्नालान जी नोनी । पृष्फ सन्न्या ४४२ । न० १९३७ । मूल्य नीन रुपया।
१८. प्रायश्चितमग्रह : इममें जैन सम्प्रदाय मम्मन प्रायश्चितो का मकलन है। इनमें निम्नाकित अन्य नाहीत है
(१) छेदपिण्ड (इन्द्रनन्दियोगीन्द्र कृत) प्राकृन (२) छेदयान्त्र या छेटनवनि (प्राकृत)। (३) गुरुदास कृन प्रायश्चित्तचूलिका (श्रीनन्दिगुरु कृत टीका सहित)। (४) प्रायश्चित्तप्रय भट्टाकलककृत। मगोवकप० पन्नालाल जी मोनी। पृष्ठनव्या १७२ । मूल्य एक रुपया दोआना । म० १९७८ । (अप्राप्य)
१६ मूलाचारः सटीक (पूवार्द्ध)-ग्रन्यका प्राचार्य वट्टकेर । इसमें नात अधिकारी द्वारा मुनियों के यात्रा का वर्णन है । सम्पादक प० पन्नालाल मौनी और प० गजावरलाल गायी। पृष्ठ मन्या ५१६ । न० १९३७ । मूल्य ढाई रपया । (अप्राप्य)
२०. भावसग्रहादिःमैद्धान्तिक माह-ग्रन्या नगोधक प० पन्नालालमोनी। इसमें निम्नलिन्वित ग्रन्य नगृहीत है(१) भावमग्रह (देवमनमूरिकृत) (२) भावमग्रह (वामढवपडितकृत) (२) भावविभगी (श्रुतमुनिकृत) म० १९७८ । पृष्ठ सख्या २८३, मूल्य मवा दो रुपया।
२१. सिद्धान्तसारादिसग्रह : यह भी एक नद्धान्तिक मग्रह ग्रन्य है। इसमे मस्कृत-प्राकृत भापा निवद्ध, निम्नलिन्त्रित छोटे-बड़े पच्चीम य और प्रकरण मगृहीत है
१ जिनचन्द्राचार्यकृत सिद्धान्नमार प्राकृत (जानभूपणकृत भाप्य सहित) २ श्रीयोगीन्द्रदवकृत योगमार, (अपभ्रण) ३ अजितब्रह्मकृत क्ल्याणलोयणा (प्राकृत)। ८ योगीन्द्रदेवकृत अमृतानीति (मस्कृत)। ५ शिवकोटिकृत रत्नमाला (मस्कृत)। ६ श्रीमाघनन्दिकृत मास्त्रमारसमुच्चय । ७ प्रभाबन्द्राचार्यकृत अर्हत्प्रवचन । ८ आप्तस्वरूप। १ वादिराजप्रणीत जानलोचनस्तोत्र ।