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________________ _ 'जैन-सिद्धान्त-भवन' के कुछ हस्तलिखित हिन्दी ग्रन्थ ५०५ मे प्रवेश करते ही प्रचण्ड रूप धारण कर लेती है, उसी प्रकार प्रोजस्वी वालक प्रारभ में शूर-वीर होते है । अन्त मे ग्रन्थकार ने अपना परिचय इस भाति दिया है ब्रह्मराय मल बुधि कर हीन, हनुमच्चरित्र कियो परकाश । तास शीश जिन चरणहि लीनो, क्रियावन्त मुनिवर को दास ॥ भनियो सो मन धरि हर्ष, सोलह सौ सोलह शुभ वर्ष । ऋतु वसन्त मास वैशाखे, नवमी तिथि अधियारो पाखे। इससे सिद्ध होता है कि ग्रन्थकार ने इस ग्रन्थ की स० १६१६ वैशाख वदी नवमी को रचना की है। १७ बुद्धिविलास-इस ग्रन्थ के रचयिता प० वखतराम है। अन्य की प्रति साधारण तथा लिपि अच्छी है। ग्रन्थकार ने विशाल संस्कृत साहित्य का अध्ययन एव मनन कर इसको रचा है। रचना मौलिक तथा कही-कही पर साधारण है। ___ ग्रन्थ के प्रारभ मे कवि ने जयपुर के राजवश का इतिहास लिखा है। स० ११६१ मे मुसलमानो ने जयपुर में राज्य किया है । इसके पूर्व कई हिन्दू राजवशो की नामावलि दी है । इतिहास-प्रेमियो को यह ग्रन्थ अवश्य देखना चाहिए। इसका वर्ण्य विषय विविध धार्मिक विषय, सघ, दिगवर पट्टावलि, भट्टारको तथा खडेलवाल जाति की उत्पत्ति आदि है। विस्तार १५२४ पद्यो में है । कविवर ने राजमहल का रोचक और मधुर चित्र खीचा है प्रागन फरि कले पर वात मनु रचे विरचि जु करि सयान । है आव सलिल समतिह बनाय, तह प्रगट परत प्रतिबिंब पाय॥ कबहुँ मणिमन्दिरमाझिजाय, तिय दूजी लखि प्यारी रिसाय। तव मानवती लखि प्रिय हसाय, कर जोरि जोर लेह बनाय॥ इस पद्य मे शब्दालकार तथा अर्थालकार की पुट है। इस ग्रन्थ को कविवर ने स० १८२७ के मगसिर मास की शुक्ला १२ वृहस्पनिवार के दिन समाप्त किया। सवत अट्ठारह शतक ऊपर सत्ताइस, मास मागिसिर पषि सुकल तिथि द्वावसी तारीख । नखत अस्वनी वार गुरु शुभ मुहुरत के मद्धि, ग्रन्थ अनूप रच्यो पढ़े है ताको सर्वसिद्ध । इस प्रकार जैन हिन्दी साहित्य में अनक ग्रन्थ अप्रकाशित पड़े हुए है। यदि इन्हें हिन्दी जगत के समक्ष रक्खा जाय तो हिन्दी साहित्य के इतिहास की दृष्टि से यह सामग्री बडी मूल्यवान होगी। हिन्दी साहित्य के इतिहास पर दृष्टिपात किया जाय तो अवगत होगा कि अपभ्रश और भक्तिकाल के साहित्य की अपूर्णता का मूल कारण जैन हिन्दी साहित्य के समुचित उपयोग का अभाव ही है। पारा ] - - - - -
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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