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अलीगढ़ ]
गीत
श्री गोकुलचन्द्र शर्मा एम० ए०
काँपता रं, क्यो पुजारी ?
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श्रारती में हाथ हिलते मन्त्र तेरे क्यो फिसलते ? क्यो न मन के मुकुल खिलते ?
डर गया किस पाप से तू, हो रहा है हृदय भारी ।
भक्ति को यह रीति क्या है ? प्रीति है, फिर भीति क्या है ? नीति और अनीति क्या है ?
सौंप सब उसका उसी को देख अपनी गैल न्यारी
हँस उठे मन्दिर, मुना तू, राग अपना गुनगुना तू, छोड वाना अववना तू,
घुन लगा दे या रहे 'हे, मुस्कराते मन - बिहारी ।