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जिनपूजाष्टक.... एकैघों फटिकप्रमाने हैं । दूधकेसे फैन कैंधों चित्तामणि रेणु कैंधों, । १ मुक्ताफल ऐन कैंधों, हीरा हेरि आने हैं। ऐसे अति उज्ज्वल है । तंदुल पवित्र पुंज, पूजत जिनेश पाद पातक पराने हैं । अच्छै । गुण प्रापति प्रकाशतेज पुंज होय, अच्छै जिन देखे अच्छ इच्छते अघाने हैं॥४॥
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पुष्पपूजा..
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___ जगतके जीव जिन्हें जीतके गुमानी भयो, ऐसो कामदेव एक जोधा जो कहायो है। ताके शर जानियत फलनिके वृंद बहु, केतकी कमल कुंद केवरा सुहायो है।मालतीसुगंध चार वेलिकी
अनेक जाति, चंपक गुलाब जिनचरण चढायो है। तेरी ही १ शरण जिन जोर न वसाय याको, सुमनसों पूजे तोहि मोहि है ऐसो भायो है ॥५॥
. . . नैवेद्यपुजा.
परम पुनीत जान मेवनके पुंज आन, तिन्हें पुनि पहिचान है. जिनयोग्य जानिये । अन्न ओ विशुद्ध तोय ताको पकवान होय, है कहिये नैवेद्य सोई शुद्ध देख आनिये ॥ पूजत जिनेन्द्रपाय पातकपराने जाय, मोक्षलच्छि ठहराय सत्य यो वखानिये । क्षुधाको न दोष होय ज्ञानतनपोष होय, परम संतोष होय ऐसी विधि । ठानिये ॥ ६॥ . . . . . . . . . . . . . . . . . . . दीपकपूजा... ... ... . * दीपक अनाये चहुं गतिमै न आवे कहूं, वर्तिका बनाये कर्मवर्ति न बनत है । घृतकी सनिग्धतासों मोहकी सनिग्ध जाय, ह ज्योतिके जगाये जगाजोतिमें सनत है ॥ आरती उतारतें आरत viewROOPEPARWAROOPARDARoopencome
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