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.. चेतनकर्म चरित्र, इनके सुभट सात सरदार । परदल गंजन जवर जुझार ॥ " तबै मोह नृप अति आनंद। देखेसवसुभटनके वृन्द ।। ३९ ॥
प्लवङ्गम छन्द.. राग द्वेप द्वय मित्र, लये तव वोलिकै । तुम ल्यावहु मम फौज, भवनत्रय खोलिकै ॥ वीस आठ असवार, बड़े सव सूरमा । अरिपे यो चल जाहि, नदी ज्यों पूरमा ॥ ४०॥ राग द्वेप तहँ चले, जहां सब सूर हैं लाये तुरत वुलाय, प्रभू ये हजूर हैं। तव वोले मुख वैन, जीवपर हम चढ़े। सुनके श्रवनन शब्द, सूरके मन वढ़े ॥४१॥ फौजे कीन्हीं चार, वडे विसतारों। निज सेवक सरदार, किये भुजभारसों । पहिली फौजें सात,सुभट आगे चले। दूजी फौजें चार, चारते सव भले ॥४२॥ दै घोंसा सब चढे, जहां चेतन वसे । आये पुरके पास, न आगे को धसै ॥ चेतनको गढ़ जोर, देख सव थरहरे। सात सुभट तब निकस, सवन आर्गे अरे ॥४३॥ ६
दोहा. उदय दूत सुधि मोहकी, कही जीव जाय ॥ कहारहे तुम बैठके?, फौजें लागी आय ॥ ४४ ॥
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(१) नगाड़े बजाकर।। tappshponDOREPOperoGORSewapco