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ईश्वरनिर्णयपचीसी. है ईश्वरकी गति अगम है, पार न पायी जाय ॥ वेदस्मृति सब कहत हैं, नाम भजोरे भाय ॥४॥
कवित्त. ब्रह्मा अरु विष्णु महादेव तीनों पच हारे, काहुन निहारे प्रभु कसे जगदीस है । दशां अवतार माहिं कॉनधी जनम लीन्हों, ईतिन हुन पाये परब्रह्म ऐसे ईस है। ध्रुव प्रहलाद दुरवासा लोम ऋषि भये, किन हुन कहे ऐसे आप विस्वावीस हैं। आयत अचंभो इह धावत सकल जग, पावत न कोऊ ताहिक नाय काहि सीस हैं ॥५॥
एक मतवारे कह अन्य मतवारे सव, मेरे मतवारे परवारे मत सारे हैं। एक पंचतत्त्ववारे एक एकतत्त्व वारे, एक भ्रममतपवार एक एक न्यारे हैं। जैसे मतवारे बकं तैसें मतवारे वक, है तामों मतवार तक विना मतवारे हैं। शांतिरसवारे कहें मतको निवार रहे, तई प्रानप्यारे लह और सव बारे हैं ॥ ६॥ .
अनङ्गशेखर. २ र अज्ञान आतमा लख न तू महातमा, लग्यो है तो महा
तमा निजातमा न सूझई । प्रसिद्ध जो विख्यातमा विराजे गात है, गातमा, कहाच पात पातमा चिदातमा न बूझई । मिथ्यात्व मोह मातमा लग्यो तु जीव घातमा, क्रोधादि वातवातमा अज्ञातमा
हे झूझई । अनंत शक्ति जातमा उद्योत ज्यों प्रभातमा, सु सूझै , है खंध आतमा तू बंधौ अरुझई ॥७॥
कवित्त. हिंसाके करया जोप जहं सुरलोक मध्य, नर्कमांहि कहो बुध 2(१) किरान. २ भोले. PasavammerupsserpenParPMRDarpan
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