________________
maawww
RAMMA
Senatorenwetgeweet was wortwego w
PEOPORamanupremonomeromencemwanWATCH अनादिवत्तीसिका.
२१७ . छप्पय. . . चहुं गतिमें नर वड़े, बड़े तिनमें समदृष्टी। समदृष्टीते बड़े, साधुपदवी उतकृष्टी॥ साधुनतें पुन बड़े, नाथ उवझाय कहावे ।
उवझायनते बड़े, पंच आचार वतावें ॥ तिन आचार्यनते जिन बड़े, वीतराग तारन तरन । हे तिन कह्यो जैनवृप जगतमें, भैया तस बंदत चरन ॥ २४ ॥
दोहा. जैनधर्म सव धर्म में, शोभत मुकुर समान ॥ जाके सेवत भव्यजन, पावत पद निर्वान ॥२५॥ ज्यों दीपक संयोगते, वत्ती कर उदोत ॥ त्यों ध्यावत परमातमा, जिय परमातम होत ।। २६ ॥ श्री जिनधर्म उदोत है, तिहू लोक परसिद्ध । 'भैया' ने सेवहिं सदा, ते पावहिं निजरिद्ध ॥ २७ ॥ सत्रहसै पंचासके, उत्तम भादव मास ।। सुदि पूनम रचना कही, जैजिनधर्मप्रकाश ॥२८॥
इति जिनधर्मपचीसिका.
Sopranoprestegardloopscorers recorded were
wodawananerererererentre otros
अथ अनादिवत्तीसिका लिख्यते।
दोहा. अष्टकर्म अरि जीतकें, भये निरंजन देव ॥ मन वच शीस नवायके, कीजे ताकी सेव ॥१॥ छहों सु द्रव्य अनादिके, जगत माहि जयवंत ॥ .
को किस ही कर्ता नहीं, यों भाखै भगवंत ॥२॥ PRO/ARORDPARROSOMWAREmachondnangi
operatore s