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अव दूजो सासादन मिथ्यापुरलौं आवै
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एकादशगुणस्थानपर्यन्तपंथवर्णन. 'तीजे चौथे पंचम: जाय । सप्तम पुरलों पहुंचै धाय ॥ ६ ॥ नाम । ताके एक गिरनको धाम ॥ : सहीं । दूजी चाट न याकी कही ॥ ७ ॥ थान । पंथ दोय याके परमान ॥ माहिं । चढै तो चौथे थानक जाहिं ॥ ८ ॥ थान पंथ पंच भाखे भगवान ॥ जाय । मिथ्यापुरलों पहुँचै आय ॥ ९ ॥ सही । ऐसी महिमा याकी कही || जान । पंथ पंच ताके उर आन ॥१०॥ जाय । अथवा दूजै पहिले भाय ॥ माहिं । इहिथानक अधिके कछु नाहिं ११ । वखान । ताके पंथ छहों पहिचान ||
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तीजो मिश्रनाम गुण गिरे तो पहिले पुरके चौथौ है अत्रतपुर गिरे तो तीजै दूजै चढे तो पंचम सप्तम पंचम देशविरतपुर गिरे तो चौथे तीजै चढै तो सप्तम पुरके अव पष्टम परमत्त गिरै तौ पंचम चौ त्रिय जाय । दूनै पहिले धेरै सुभाय ॥ १२ ॥
चढै तो. सप्तम पुरलों
आय । ऐसे भेद कहे जिनराय ॥
सप्तम अप्रमत्त पुर नाम । पंथ तीन ताके अभिराम ॥ १३॥ गिरे तो छठ्ठे पुलों जाहिं । चढै तो अष्टम पुरके माहिं ॥ मरन करै चौथे पुर आय । ऐसे भेद कहे समुझाय ॥ १४ ॥ अष्टम नाम अपूरव करण । शिवलोचन मधि ताकी धरण ॥ गिरै तो सप्तम पुरहि अखंड । चढै तो नवमें पुर परचंड ॥ १५ मरन करे तो चौथे जाय । ऐसे कथन कह्यो मुनिराय || नवमों नाम अनित्रतकर्ण । पंथ तीन ताके विस्तर्ण ॥ १६ ॥ गिरै तो अष्टम पुरके संग चढ़े तो दशमें होय अभंग ॥ हूँ मरन करें चौथे पुर वीच । तोह भवथिति रहे नगीच ॥ १७
सूक्ष्मः सांपराय
दश कहै। पंथ तीन ताके
इम लहै ॥
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