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राग देवगंधार - तीन ताल
धर्मामृत
देखो माइ अजब रूप जिनजी को || देखो० ॥ टेक ॥
· उनके आगे और सबन को,
रूप लगे मोहि फीको | देखो० ॥ १ ॥
लोचन करुना अमृत कचोले, मुख सोहे अति नीको । कवि जसविजय कहे यों साहिब,
नेमजी त्रिभुवन टीको || देखो० ॥ २ ॥