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गोलेच्छा जैन ग्रंथमाला संरक्षक स्मृति మనం అం న న న న న న ం అం anja prayojana సం కారు
इतिहासप्रसिद्ध मारवाड देश, मारवाड में जोधपुर के पास पोकरण फलोधी से निकटतम और गोलेच्छावंश से सुशोभित खीचन नामक ग्राम, वहां
. अगरचंदजी सेठ-भार्या 'चूनीबाई
जेठमलजी-भार्या राजकुंवरवाई शंकरलालजी-भार्या संपतकुंवरवाई मानमलजी-भार्या अनसूयाकुंवरबाई मल्लिकुमारी, कस्तूरकुमारी, विमला (पुत्री) मूलराज (पुत्र) मानकुमारी (पुनीत्रय) भाई मानमलजी ने अपने पिता, काका व पितामह की पुण्यस्मृतिनिमित्त गोलेच्छा जैन ग्रंथमाला को प्रकाशित कराने का संकल्प किया और उसी ग्रंथमाला के प्रस्तुत प्रथम पुस्तक के प्रकाशन के लिए अर्थप्रदान किया ।