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३७.
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पर्या
धर्यो (
कान
(७६)
रहिम
रहम निकम
_आसिक
आशिक
निकर्म
विचमों
विच में
शहेर नाटिक भांत के
शहर नाटक भाँति के
(७८)
जैसी
जैसे मुवे पीछे
मुए पिछे
प्यारशुं भुख आनंदशं
प्यारसूं
भूख आनंदसू
चबीना
चबैना
नाहिं
मिल करके एक मिल कैं दोउ
एक (पाठांतर)
नहिं किन्हीं
कीन्ही