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गुपति
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२. भाषा समिति - दूसरे को लेश भी तकलीफ न हो इस
प्रकार हितमित सत्य बोलना ।
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३. एषणा समिति - दूसरे को लेश भी तकलीफ न हो इस प्रकार अपने अन्नवस्त्र की शोध करना ।
४. आदानभाण्डमात्र निक्षेपणा समिति-दूसरे को लेश भी तकलीफ न हो इस प्रकार अपने जीवननिर्वाह के साधनों को रखना |
५. पारिष्टापनिका समिति - दूसरे को लेश भी तकलीफ न हो इस प्रकार अपने मलमूत्रादि को छोडना । गुपति - तीन गुप्ति
मनोगुप्ति-मन का निग्रह करना ।
चोगुप्ति - वचन का निग्रह करना ।
काय गुप्ति - शरीर का निग्रह करना ।
अर्थात् मन वचन और शरीर के दुष्ट व्यापारों को रोकना । भजन २८ वां
११२. कायर - कायर - डरपोक
सं० कातर- प्रा० कायर - कायर | ११३. संसृति - संसार-फिरना |
भजन २९ व
११४. आगममां