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नानक
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काहेरे बन खोजन जाई। सरव निवासी सदा अलेपा,
तो ही संग समाई पुष्पमध्य ज्यों बास बसत है,
__मुकर माहिं जस छाई तैसे हो हरि बसै निरंतर,
___ घट ही खोजो भाई
॥२॥
'बाहर भीतर एकै जानों,
यह गुरु ज्ञान बताई जन नानक विन आपा चीन्हे,
मिटै न भ्रम की काई
॥३॥