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विश्वको गतिविधि
आज विक्रम सम्वत् २००८ है । मुझे विक्रम सम्वत् १२६७१ तक मुडना है | बीचके इन ३७ वर्षोंमे जो कुछ हुआ, मुझे नया लगा, आश्चर्यकारी जचा, उस पर लिखू, जी चाहता है ।
विश्व के चित्रपट पर नये-नये रंग खिले और मिट गये । साम्राज्यवाद भूमिसात् हुआ जा रहा है। सामन्तवादकी जड़ें हिल गईं। पूंजीवाद लडखडा रहा है। जन और जनताका घोष एक छोरसे दूसरे छोर तक टकरा रहा है। इधर और उधर चारो ओर लाल क्रातिकी वाते है । यह कोई नई बात नहीं, इस पर क्या लिखू |
यह दृश्य जगत्की बात हुई । अव आन्तरिक जगतकी ओर चलिए । वहा भी कुछ हुआ है - लोगोंकी श्रद्धा हिल गई, धर्म