________________
.....
.
॥ जयन्तु वीतरागाः॥
आमुख
आजे माननीय विद्वानोना करकमलमां "न्यायविशारद न्यायाचार्य महोपाध्याय श्रीयशोविजय स्मृतिग्रंथ" अर्पण करवामां आवे छे. एमां अनेक विद्वानोए विविध दृष्टिए भालेखेली महोपाध्याय श्री. यशोविजयजीना जीवनने स्पर्शती विविध प्रकारनी सामग्रीनो संग्रह थया छे. महोपाध्यायश्रीनु जीवन सागर जेवू गंभीर अने प्रेरणादायी जीवनसाधनाना महा तरंगोथी ऊभरातुं अने छलकातुं हतुं, एनो काइक साक्षात्कार आपणने प्रस्तुत स्मृतिग्रंथना अवलोकनथी थइ शकशे. प्रस्तुत ग्रंथ भविष्यमा उपाध्यायश्रीना विशिष्ट जीवनचरित्रना लेखकने मार्गदर्शक थइ पडशे. आ दृष्टिने लक्षमा राखी मारा प्रस्तुत आमुखमा हुं पण श्रीउपाध्यायनी महाराजना जीवनने समग्रपणे स्पर्शती केटलीक महत्त्वनी वीगतोनो उमेरों करुं कुं. जन्म, दीक्षा अने अध्ययन
महोपाध्याय श्रीयशोविजयजीनो जन्म कया वर्षमा थयो हतो! एनो उल्लेख आपणने मळतो नथी, पण श्रीकांतिविजयजीकृत सुजसवेलीमासमां "तैमनो जन्म कनोडा गाममा थयो हतो, मातार्नु नाम सोभागदे अने पितानुं नाम नारायण शेठ हतुं. तेमनुं पोतानुं नाम जसवंत हतुं अने मोटामाइनु नाम पद्मसिंह हतुं. पंडित श्रीनयविजयजी महागजना उपदेशथी बन्नेय भाइओए एकी साथे पाटणमां दीक्षा लीधी हती" एम जणान्यु छ. दीक्षा लीधा पछी तेमनो अभ्यास कई रीते अने कोनी पासे थयो!-ए तेमां जणान्यं नथी; तेम छतां उपाध्यायश्रीना गुरु, पितामह. गुरु भने प्रपितामहगुरु विपे प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथोनी पुष्पिकाओमां "तार्किक-शाब्दिकसैद्धान्तिकशिरोमणीयमान मुविहितपरम्पराप्रधान महोपाध्याय श्रीफल्याणविजयगणि". आदि विशेषणो जोवामां आवे छे, ए उपरथी संभवतः अमुक अभ्यास तेमणे पोनाना गुरु प्रगुरु आदिना सान्निध्यमां न कयों हशे अने ए रीते उपाध्यायजी संस्कृत प्राप्त व्याकरण, साहिन्य, तर्कशाल, सैदान्तिक आदि विषयमांटीक ठीक आगळ वथ्या हशे अने गरंगन क्या हो. परंतु दार्शनिक अने नव्यन्यायन विशिष्ट ज्ञान तो तैमणे बनारसमा महानायना सान्निध्यमा ज मेयं रतुं. ए निर्विवाद हकीकत छ.