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________________ ३१ ४. इन्ही दिवाकरके जीवन वृत्तान्त के साथ सकलित चित्रकूट मेवाडका इतिहासप्रसिद्ध चित्तोड ही अधिक सम्भव है, न कि उत्तर प्रदेशमे आया हुआ रामायणप्रसिद्ध चित्रकूट । इस चित्रकूटकी उनके समय मे क्या स्थिति थी, इसके वारेमे कोई खास इतिहास नही मिलता । ग्वालो द्वारा बसाये गये तोलरसिक "गॉव और गौड देश के कर्मारग्राम के विषय मे प्रभावकचरित्रमे जो निर्देश हैं, उनसे अधिक कुछ भी जानकारी उनके विषय में अबतक नही मिली और दिवाकरके समय के साथ जिसका मेल बैठ सके, ऐसा कोई देवपाल अथवा विजयवर्मा अबतक ज्ञात नही हुआ । ५ इस मुद्दमे समाविष्ट प्रश्नोके विषय मे कुछ भी निश्चित रूपसे कहना इस समय सम्भव नही है | २ ६. ऐसा जान पडता है कि कुडगेश्वर और महाकाल ये दोनो नाम एक ही मन्दिर या तीर्थको लक्ष्यमे रखकर प्रयुक्त हुए है। आवश्यकचूर्णि जैसे १. भगवान् महावीरके विहारक्षेत्र में कर्मारग्रामका उल्लेख श्राता है । यह कर्माराम कुण्डग्रामके पास ही होना चाहिए, क्योंकि मुहूर्त दिन बाकी रहनेपर भगवान् कर्मारग्राममें गये, ऐसा उल्लेख आता है ( आचारांग टीका पृ० ३०१ द्वि० ) | यह कर्मार और गौड़ देशका कर्मार एक है या भिन्न, यह विचारणीय है । २. 'त इयाणि महाकाल जात लोकेण परिग्महितं ।' श्रावश्यक चूर्णि उत्तरभाग, पत्र १५७ ३. डॉ० काउजे 'विक्रमस्मृति अन्य' ( वि० सं० २००१ ) में 'जैन साहित्य और महाकाल मन्दिर' नामक लेख ( पृ० ४०१ ) में विस्तृत समीक्षा के पश्चात् इस निर्णयपर थायी है कि उज्जयिनी में कुडंगेश्वर और महाकाल ये दो मन्दिर भिन्न-भिन्न थे । कुडंगेश्वर मन्दिर जैन मुनि श्रवन्तोसुकुमालके मृत्युस्थानपर उनके पुत्रने बनवाया था । स्कन्दपुराण के अवन्तीखण्ड में कुटुम्बेश्वर महादेव के तीन उल्लेख है । ( १.१०; १.६७; २.१५ ) यह मन्दिर आज भी गन्धवती घाटके पास उज्जयिनीके सिंहपुरी नामक भागमें विद्यमान है । मूलमें यही मन्दिर अवन्तीसुकुमाल मुनिका स्मारक मन्दिर होना चाहिए, परन्तु आसपास श्मशानभूमि एव निर्जन जंगल होनेके कारण जैनोने उसकी उपेक्षा की होगी । बादमें जीर्णोद्धार या दूसरे परिवर्तन के समय हिन्दुओंने श्मशानके अधिष्ठाता के रूपमें वहाँ एक लिंगकी स्थापना की होगी । उसका पुन उद्धार सिद्धसेनने विक्रमादित्य राजा द्वारा
SR No.010844
Book TitleSanmati Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Bechardas Doshi, Shantilal M Jain
PublisherGyanodaya Trust
Publication Year1963
Total Pages281
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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