SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना. अने चार न्यायी लोकोने राखी सनामध्ये निर्णय थवो जोइये ॥ एवी रीते विजयराजेंसूरिजी अने आत्मारामजी ने परस्पर थयेली बीना श्री अमदावादना श्रावकोने मोढे सांजली तेमज परस्पर बापां नपाएला सर्व प्राप. णा मालवा, मारवाडना श्रावकोए प्रत्यक्ष दीनां बने वली ते परस्परना बापां सर्व देशावरोमां प्रसिह थयां. ते बापां वांचतां खुल्ली रीते मालम पडेले के विजयराजें सुरिजीएसनानी नाकही नथी अने चतुर्थस्तुतिनिर्णय प्रस्तावना पृष्ठ बीजामा आत्मारामजी लखेडे, के नगर शेके वंमेमे आकर शेठजीको कहगये के हम सना नही करेगें 'इत्यादि सर्व बीना असत्य नखे बे, केमके अमदावादमा अन्य दर्शनीना हितेच बापामा बन्ने तर. फनी बनेली बीना अन्य दर्शनीयोए जपावी प्रसिझकरी, ते बीनानो सारांस देखतां आत्मारामजी तरफथी सना करवानुं बंध पड्युं एवं सिह थायने, पण राजेंसूरिजी तरफथी सिह थतुं नथी; तेमज प्रश्नोमां पण कांड मूहानी खोट हती नही, तो पण चतुर्थस्तुति निर्णय प्रस्ता वना पृष्ट त्रीजामां आत्मारामजी लखे के *प्रश्नपत्र ही तरे शुझलखा हूया नहिथा* ए वाक्यमां "ह" हुस्व जोइए ते दीर्घ लख्यो *तथा* इस वास्ते शेठजीकों दे
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy